पांगी बना प्रदेश का पहला प्राकृतिक खेती उप-मंडल

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चम्बा – भूषण गुरूंग 

हिमाचल प्रदेश सरकार ने चंबा जिले के पांगी को राज्य का पहला प्राकृतिक खेती उप-मंडल घोषित कर ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की इस घोषणा के अनुरूप अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। इस निर्णय से पांगी क्षेत्र में उत्साह का माहौल है, जहां अब हजारों किसान प्राकृतिक खेती की ओर लौट रहे हैं।

पारंपरिक खेती को मिलेगा प्रोत्साहन

पांगी घाटी के धनवास निवासी राज कुमार सहित कई स्थानीय लोगों ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह निर्णय पांगी की पारंपरिक कृषि को फिर से जीवंत करेगा और बाहर गए लोगों को वापस अपने गांव की ओर आकर्षित करेगा।

वर्तमान में घाटी में लगभग 2,244 किसान परिवार रसायन-मुक्त खेती कर रहे हैं। सरकार का लक्ष्य है कि 2,920 हेक्टेयर कृषि भूमि को पूरी तरह प्राकृतिक खेती में परिवर्तित किया जाए।

प्राकृतिक खेती उप-मंडल, महिला किसानों और युवाओं में जागा उत्साह

पुंटो गांव की शीला देवी और सुनीता कुमारी ने बताया कि सीमित संसाधनों के बावजूद प्राकृतिक खेती उनके लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। छोटे-छोटे खेतों में भी जैविक तरीके से खेती करके वे अगली पीढ़ियों के लिए उदाहरण बनाना चाहती हैं। इस पहल से युवाओं में भी स्थानीय कृषि को लेकर रुचि बढ़ी है।

चरणबद्ध तरीके से लागू होगी कार्य योजनाएं

मुख्यमंत्री के निर्देशों पर कृषि विभाग ने एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की है, जो चरणबद्ध और विकेन्द्रीकृत रूप में लागू की जाएगी। पहले चरण में गांव स्तर पर योजना निर्माण, किसानों की जागरूकता और प्रशिक्षण का काम होगा।

पंचायत स्तर पर बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर (BRC) स्थापित किए जाएंगे, जो बीजामृत, जीवामृत, दशपर्णी अर्क जैसे उत्पाद उपलब्ध कराएंगे। जिनके पास गाय नहीं है, उनके लिए यह केंद्र विशेष रूप से सहायक होंगे।

प्राकृतिक खेती उप-मंडल, मार्केटिंग और अवसंरचना का भी होगा विकास

आगामी चरणों में कोल्ड स्टोरेज, पॉलीहाउस जैसी सुविधाओं के विकास पर बल दिया जाएगा। साथ ही किसान उत्पादक संगठन, स्वयं सहायता समूह और किसान कंपनियां बनाकर सामूहिक शक्ति को बढ़ावा मिलेगा। सरकार लार्ज एरिया सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया को अपनाकर गांवों को जैविक क्षेत्र के रूप में मान्यता दिलाने की दिशा में भी काम करेगी।

मुख्यमंत्री की जनजातीय क्षेत्रों पर विशेष दृष्टि

सूरल पंचायत के प्रधान दीपक कुमार ने इस निर्णय को आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पांगी घाटी की आर्थिक स्थिति सशक्त बनाने की दिशा में यह मील का पत्थर साबित होगा।

सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश सरकार जनजातीय क्षेत्रों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए ‘सरकार गांव के द्वार’ जैसी योजनाएं चला रही है और स्वयं मुख्यमंत्री कठिन क्षेत्रों का दौरा कर जनता से सीधे संवाद स्थापित कर रहे हैं।

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