शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश में चिट्टा, भांग, चरस और अन्य नशे की तस्करी को लेकर सरकार कठोर कानून बनाने जा रही है। सरकार ने विधानसभा सत्र हिमाचल प्रदेश संगठित अपराध (रोकथाम और नियंत्रण) विधेयक, 2025 बीते रोज मंगलवार को पेश किया था, जिस परअब शुक्रवार को चर्चा होगी। चर्चा के बाद इसे पारित किया जाएगा।
सदन में इस संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद फिर यह राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। दरअसल, इस विधेयक का उद्देश्य संगठित अपराध के खिलाफ सख्त कानूनी प्रावधान लागू करना, आपराधिक गिरोहों की आर्थिक गतिविधियों पर अंकुश लगाना और राज्य में कानून व्यवस्था को मजबूत करना है।
यह विधेयक नशीले पदार्थों की तस्करी, साइबर आतंकवाद, मानव अंगों की तस्करी, फर्जी दस्तावेज निर्माण, खेलों में सट्टेबाजी जैसे संगठित अपराधों पर नकेल कसने के लिए लाया गया है। विधेयक में संगठित अपराध की परिभाषा का विस्तार किया गया है, जिसमें मादक पदार्थों की तस्करी, पर्यावरणीय अपराध, साइबर आतंकवाद, स्वास्थ्य देखभाल धोखाधड़ी, जाली दस्तावेजों का रैकेट, खाद्य और दवा मिलावट, खेलों में सट्टेबाजी व हेरफेर आदि शामिल किए गए हैं।
संगठित अपराध में संलिप्तता पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। यदि अपराध के कारण किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है। अन्य मामलों में कम से कम दो वर्ष से लेकर 14 वर्ष तक की कठोर सजा और न्यूनतम 20,000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
वहीं, जो व्यक्ति पहले से संगठित अपराध में दोषी ठहराया जा चुका है, उसे दोबारा अपराध करने पर अधिकतम सजा के डेढ़ गुना तक की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है। किसी भी व्यक्ति की ऐसी चल-अचल संपत्ति जो संगठित अपराध से अर्जित की गई हो, उसे जब्त किया जाएगा।
साथ ही पुलिस अधिकारियों को ऐसी संपत्तियों को जब्त करने और न्यायालय में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का अधिकार दिया गया है। अगर अपराध से अर्जित संपत्ति के दावेदार नहीं मिलते, तो वह सरकार की ओर से जब्त कर ली जाएगी। वहीं, कुछ अपराधों के लिए, जिनमें अधिकतम सजा तीन वर्ष या उससे कम है, सरकार को उन्हें कुछ शर्तों के तहत निपटाने का अधिकार दिया गया है।
विधेयक के तहत संगठित अपराध की रोकथाम के लिए कार्यरत सरकारी अधिकारियों को कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई है। राज्य सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह विधेयक के कार्यान्वयन में आने वाली किसी भी कठिनाई को दूर करने के लिए नियम बना सके।
संगठित अपराध के खिलाफ एक बड़ा कदम-सीएम
इस विधेयक के पारित होने पर मुख्यमंत्री ने कहा, “यह कानून हिमाचल प्रदेश में संगठित अपराध के खिलाफ एक बड़ा कदम है। यह अपराधियों के नेटवर्क को तोड़ने और राज्य में कानून व्यवस्था को मजबूत करने में मदद करेगा।
” गृह मंत्री ने कहा कि, “इस विधेयक के जरिए न केवल संगठित अपराध पर लगाम लगाई जाएगी, बल्कि अपराधियों की संपत्तियाँ भी जब्त कर उनकी आर्थिक शक्ति कमजोर की जाएगी।”
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश संगठित अपराध (रोकथाम और नियंत्रण) विधेयक, 2025 के पारित होने से राज्य में संगठित अपराधियों और गिरोहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त होगा। यह कानून राज्य की आर्थिक स्थिरता, कानून व्यवस्था और नागरिकों की सुरक्षा को मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगा।