हिमखबर डेस्क
हिमाचल प्रदेश की देवभूमि धर्मशाला, जिसे पर्यटन नगरी के रूप में जाना जाता है, वहां से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। धर्मशाला के तपोवन विधानसभा भवन के पीछे के जंगल में दर्जनों गायों के कंकाल मिलने से हड़कंप मच गया है। इस घटना ने न केवल हिंदू आस्थाओं को ठेस पहुंचाई है, बल्कि इंसानियत को भी शर्मसार कर दिया है।
कैसे हुआ इस घटना का खुलासा?
इस भयावह घटना का पर्दाफाश धर्मशाला की क्रांति संस्था ने किया, जो वन्यजीव संरक्षण और गोरक्षा के लिए कार्यरत है।संस्था के अध्यक्ष नीरज महाजन ने जंगल में फैले दर्जनों गायों के कंकालों को देखकर प्रशासन और समाज को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा, “यह किसी अन्य देश का मामला नहीं, बल्कि देवभूमि हिमाचल प्रदेश का है। यहां जहां गाय को मां मानकर पूजा की जाती है, वहीं जंगलों में गौवंश का ऐसा हाल होना हैरान करता है।”
क्या हो रहा था जंगलों में?
नीरज महाजन के अनुसार, इस जंगल में गौहत्या बड़े पैमाने पर हो रही थी। गौवंश को मारकर उनका मांस निकाल लिया जाता था, चमड़ा उतार लिया जाता था, और कंकालों को जंगली कुत्तों के लिए छोड़ दिया जाता था। यह सब तपोवन विधानसभा भवन के पीछे के जंगल में हो रहा था, जहां पर पिछले महीने 68 विधायक, मंत्री, पुलिस, और सीआरपीएफ के जवान मौजूद थे। बावजूद इसके, किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी।
सरकार और प्रशासन पर सवाल
नीरज महाजन ने प्रशासन और सरकार पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि जो नेता विधानसभा में गायों की रक्षा की बातें करते हैं, उनके ही पीछे के जंगल में ऐसी घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि प्रशासन आखिर किस बात का इंतजार कर रहा है? महाजन ने इस क्रूरता को रोकने के लिए कठोर कार्रवाई की मांग की।
धीरज महाजन का संकल्प
क्रांति संस्था के अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि अगर सरकार और प्रशासन ऐसे क्रूर अपराधों को रोकने में असफल रहते हैं, तो वह और उनकी टीम खुद आगे आएगी। उन्होंने कहा कि गौवंश को न्याय दिलाने के लिए अगर हमें जेल भी जाना पड़े, तो हम जाएंगे। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन मासूम प्राणियों की रक्षा करें।
समाज और प्रशासन की भूमिका
यह घटना न केवल प्रशासन की नाकामी को उजागर करती है, बल्कि समाज की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाती है। इस मामले में सरकार और प्रशासन का लचर रवैया सामने आया है। समाज को भी इन घटनाओं के प्रति जागरूक रहना होगा और गोरक्षा के लिए कदम उठाने होंगे। गौहत्या और इस तरह की क्रूरता को रोकने के लिए सख्त कानूनों का पालन जरूरी है।