हिमखबर डेस्क
देशभर में कार्तिन मास की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा। ऐसे में इस दिन धन के देवता कुबेर, मृत्यु के देवता यमराज और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि का पूजन अर्चन भक्तों द्वारा किया जाएगा। इस दिन लोगों द्वारा सोने-चांदी के साथ नई वस्तुओं की भी खरीदारी की जाती है। धनतेरस के दिन सोने-चांदी की चीजें खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन इस दिन कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखना होता है। वरना उन चीजों की खरीदारी से धन के आगमन में रुकावट आ सकती है।
आचार्य अमित कुमार शर्मा ने बताया कि धनतेरस का त्योहार इस साल 18 अक्टूबर को मनाया जा रहा है और इस दिन बाजारों में भी खुशहाल पहल रहती है। इस दिन लोगों को चाहिए कि वह बाजार में जाकर शास्त्रों के अनुसार लिखी गई चीजों की खरीदारी करें और जिन चीजों को खरीदने की मनाही है, उन चीजों की और बिल्कुल भी ध्यान ना दें।
इन चीजों की न करें खरीदारी
- कालें रंग की वस्तुएं: आचार्य अमित कुमार ने बताया कि धनतेरस के दिन काले रंग की वस्तुएं खरीदना अशुभ होता है. इसलिए इन चीजों की खरीद बिल्कुल भी न करें।
- लोहा-एल्यूमीनियम: धनतेरस के दिन लोगों को लोहे और एल्यूमिनियम की वस्तुएं खरीदने से बचना चाहिए।
- कांच या शीशा: आचार्य ने बताया कि इस दिन कांच या शीशे की वस्तुएं भी न खरीदें।
- प्लास्टिक: आचार्य का कहना है कि धनतेरस पर धातु के अलावा प्लास्टिक की वस्तुएं खरीदना भी शुभ नहीं माना जाता है।
आचार्य अमित कुमार शर्मा ने बताया कि धनतेरस के दिन खरीदारी करते समय इन सभी बातों का लोगों को विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।
धनतेरस पर खरीदें ये चीजें
- सोना-चांदी: आचार्य अमित कुमार ने बताया कि धनतेरस के दिन सोना और चांदी बहुत शुभ माने जाते हैं. ऐसे में इन दिन लोग सोने-चांदी के गहनों की खरीदारी कर सकते हैं।
- तांबा, पीतल और स्टील: धनतेरस पर लोग तांबे, पीतल और स्टील के बर्तन भी खरीद सकते हैं, जो शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक है।
- गाड़ी या इलेक्ट्रॉनिक सामान: आचार्य ने बताया कि इस दिन गाड़ी और इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदना भी शुभ होता है।
- लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां: वहीं, घर में समृद्धि और बुद्धि के लिए लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों की भी लोग खरीदारी करते हैं।
इस दिन मनाया जाएगा धनतेरस
इस साल 18 अक्टूबर शनिवार के दिन त्रयोदशी तिथि का आरंभ दोपहर में 12 बजकर 20 मिनट से होगा। वहीं, 19 अक्टूबर, रविवार को दोपहर के 1 बजकर 52 मिनट पर त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी। सनातन शास्त्रों के अनुसार जिस दिन प्रदोष काल में कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि पड़ती है। उसी दिन धनतेरस का त्योहार मनाने की परंपरा है। ऐसे में 18 अक्टूबर के दिन यह त्योहार मनाया जाएगा।
क्यों होती है भगवान धन्वंतरि की पूजा?
आचार्य अमित कुमार ने बताया कि भगवान धन्वंतरि को समुद्र से निकले रत्नों में से एक में गिना जाता है। चार भुजाओं वाले भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है उनके चार हाथों में से एक में औषधि कलश, दूसरे में जड़ी बूटी, तीसरे में शंख और चौथे में आयुर्वेद का ग्रंथ होता है, इसलिए भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से भक्तों को अच्छी सेहत का वरदान मिलता है। वेद और पुराणों में भगवान धन्वंतरि को देवताओं के चिकित्सक माना जाता है और उन्हें आयुर्वेद के देवता के रूप में दर्शाया गया है।
आचार्य अमित कुमार ने बताया धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब असुरों और देवताओं ने समुद्र मंथन किया था, तो उस मंथन में समुद्र से 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी। 12 रत्नों के बाद समुद्र से हाथों में अमृत का कलश लेकर भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे।
ऐसे में भगवान धन्वंतरि और अमृत को आखिरी के दो रत्न कहा जाता है। धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा का विशेष विधान है। इन्हें भगवान विष्णु का ही अवतार कहा जाता है। इसके अलावा कुबेर देवता के साथ इनकी पूजा करने से भक्तों को सुख-संपत्ति के साथ अच्छी सेहत का भी आशीर्वाद मिलता है।
धनतेरस पर किसकी पूजा करें?
आचार्य अमित कुमार ने बताया कि धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देवता के साथ भगवान धन्वंतरि की पूजा जरूर करनी चाहिए। जिससे भगवान धन्वंतरि प्रसन्न होकर भक्तों को अच्छी सेहत का आशीर्वाद देते हैं। वहीं, धनतेरस पर पूजा करने से भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि प्रसन्न होकर भक्तों पर धन और स्वास्थ्य की बारिश करते हैं।
धनतेरस पर कैसे करें पूजा?
- पूजा से पहले घर की अच्छे से साफ-सफाई करें.
- मुख्य द्वार पर दोनों ओर स्वस्तिक का चिन्ह लगाएं.
- मुख्य द्वार के बाईं ओर घी के तेल का दीपक जलाएं.
- धन संबंधी किसी भी यंत्र की भी धनतेरस पर पूजा करें.
- माता लक्ष्मी, गणेश और कुबेर के साथ भगवान धन्वंतरि की भी पूजा करें.
- शाम को उत्तर दिशा की ओर कुबेर और धन्वंतरि की स्थापना करें.
- कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि के सामने घी का दीपक जलाएं.
- कुबेर देवता को सफेद मिठाई और भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई चढ़ाएं.
- पूजा में सबसे पहले कुबेर के मंत्रों का जाप करें.
- उसके बाद भगवान धन्वंतरि की पूजा करके प्रसाद बांटे.