कोटला, स्व्यम
पूर्व पंचायत समिति सदस्य एवं वर्तमान उपप्रधान पंचायत डोल भटहेड़ साधू राम राणा ने प्रेस वार्ता में कहा कि हिमाचल प्रदेश में दो विधानसभाओं में आगामी सितंबर-अक्टूबर में होने जा रहे उपचुनावों का मुख्य उद्देश्य दो लोगों को कुछ महीनों केलिए रोजगार देना एवं उम्र भर के लिए पैंशन सुविधा देना ही दिखाई देता है जबकि जनहित में विकास का मकसद इन चुनावों से नहीं होने वाला है।
क्योंकि इन चुनावों को लेकर लगभग दो माह तक आचार-संहिता लगी रहेगी और उसके बाद जो भी विधायक बनेगा एक तो वह नया होगा और दुसरा उसके पास कुछ ही माह का समय शेष काम करने का बच्चेगा अतः इस कारण नया विधायक न ही अपने क्षेत्र की समस्यायों को समझ पाएगा और न ही हल करवा पाएगा।
किसी भी जनप्रतिनिधि को अपने चुनें जाने के बाद अपने क्षेत्र की समस्यायों को समझने केलिए कम से कम एक साल का समय लग जाता है जबकि इस उपचुनाव में चुनें जाने वाले विधायक तो केवल एक ही बजट सत्र में अपनी भागीदारी दे पाएंगे। क्योंकि 2022 के चुनावों को लेकर अक्टूबर 2022 में ही आचार संहिता लागू हो जाएगी।
अतः परिस्थितियों को देखते एवं समझते हुए सभी राजनीति दलों एवं अन्य चुनाव लड़ने के चाहबानों को इन उप चुनावों का वहिष्कार करना चाहिए ताकि राजनीति स्तर पर फिजूलखर्ची को रोकने एवं सच्ची समाजसेवा की मिसाल पेश हो सके।