हिमखबर डेस्क
हिमाचल प्रदेश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन सरकारी सहयोग और बेहतर सुविधाओं के अभाव में कई खिलाड़ी अपने सपनों की उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला हमीरपुर जिला के बमसन क्षेत्र के दुर्गम गांव जंदडू का है, जहां रहने वाली पेशेवर ताईक्वांडो एथलीट आकांक्षा कुमारी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करने के बावजूद आज भी सरकारी मदद के लिए संघर्ष कर रही हैं।
आकांक्षा ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि हिमाचल खेलों के मामले में अपने पड़ोसी राज्यों हरियाणा और पंजाब से कोसों पीछे है। सरकारें खेलों को बढ़ावा देने के दावे तो करती हैं, लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही है। आकांक्षा की प्रतिभा का अंदाजा उनकी उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त से लगाया जा सकता है।
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दक्षिण कोरिया में आयोजित विश्व ताईक्वांडो विश्व कप टीम चैंपियनशिप 2024 में भारत का प्रतिनिधित्व किया। राष्ट्रीय स्तर पर भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा है, जहां उन्होंने 2023 में तमिलनाडु में आयोजित ‘चैंपियन ऑफ चैंपियंस इंडिया ताईक्वांडो चैंपियनशिप’ में स्वर्ण पदक और 2024 में महाराष्ट्र में हुई ‘फाइनल चैंपियन ऑफ चैंपियंस’ में रजत पदक अपने नाम किया।
इसके अलावा उन्होंने तीसरे सीनियर नैशनल (2025) और आईटी नैशनल 2022 सीनियर ताईक्वांडो चैंपियनशिप में कांस्य पदक भी जीते हैं। इन जीतों के साथ-साथ उन्होंने खेलो इंडिया महिला ताईक्वांडो लीग और ऑल इंडिया इंटरवर्सिटी ताईक्वांडो चैंपियनशिप जैसे महत्वपूर्ण टूर्नामैंट्स में भी भाग लेकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
इतनी उपलब्धियों के बावजूद आंकाक्षा का भविष्य आर्थिक तंगी के कारण धुंधला नजर आ रहा है। उनका अगला लक्ष्य एशियाई खेल-2026 और लॉस एंजिल्स ओलिंपिक-2028 में देश के लिए पदक जीतना है, लेकिन इसके लिए जिस उच्च स्तरीय ट्रेनिंग और संसाधनों की जरूरत है, वह उन्हें नहीं मिल पा रही है।
आकांक्षा ने बताया कि मुझे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए सहयोग नहीं मिल रहा है, जिसके चलते मैं बड़ी खेल योजनाओं में नहीं जा पा रही हूं। फिलहाल, वह बेहतर ट्रेनिंग के लिए हरियाणा में रहने को मजबूर हैं। आकांक्षा ने बताया कि कुछ वर्ष पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री ने उन्हें 2 लाख रुपए और शिमला की एक संस्था ने 1 लाख रुपए की मदद की थी, जिससे वह राष्ट्रीय स्तर पर कुछ आगे बढ़ सकीं। लेकिन यह मदद उनके बड़े सपनों के लिए नाकाफी है।
उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि मैं ओलिंपिक खेलना चाहती हूं। मुझे जितनी अच्छी ट्रेनिंग चाहिए, उतनी नहीं मिल रही है। अगर सरकार सहयोग करे तो मैं ओलिंपिक में खेल भी सकती हूं और देश के लिए मैडल भी जीत सकती हूं।

