टेंशन में दुश्मन देश, बम तो क्या भूकंप से भी नहीं हिलेगा भारत का यह ब्रिज

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पूरी दुनिया की निगाहें भारत पर, भारत पर टिकी पूरी दुनिया की निगाहें, चिनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज, इंजीनियरिंग की मिसाल, 22 सालों की मेहनत का लाई रंग, इस ब्रिज के सामने एफिल टावर भी पड़ गया छोटा

हिमखबर डेस्क

भारत के लिए 6 जून बहुत बड़ा दिन रहा, क्योंकि भारत ने 6 जून एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। भारत की उपलब्धियों की किताब में एक नया अध्याय जुड़ गया है। भारत की इंजीनियरिंग का एक शानदार नमूना ‘चिनाब ब्रिज’ का पीएम मोदी ने उद्घाटन किया है।

जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब नदी पर बना ये ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है। हिम्मत, हौसले और कुछ कर गुजरने की चाह ने विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे के आर्च पुल का निर्माण कर दिया और आज पूरी दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी हैं।

करीब 22 साल की मेहनत का फल आज भारत को मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को देश को यह ऐतिहासिक सौगात दी और जम्मू-कश्मीर को शेष भारत से जोडऩे वाला रेलमार्ग, राष्ट्र को समर्पित किया। मोदी ने करीब 100 मीटर तक हाथ में तिरंगा झंडा लहराते हुए इस ऐतिहासिक पल को यादगार बना दिया।

ये ब्रिज जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब नदी पर बना है, जो संगलदान और रियासी रेलवे स्टेशनों को जोड़ता है। ये उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक (स्क्चक्ररु) का हिस्सा है, जिसका मकसद कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से रेल के जरिए जोडऩा है।

इस ब्रिज का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये कश्मीर घाटी को दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों से सीधे रेल मार्ग से जोड़ेगा। इससे कटरा से श्रीनगर का सफर, जो अभी सडक़ मार्ग से 6-7 घंटे का है, वंदे भारत ट्रेन से सिर्फ 3 घंटे में पूरा हो जाएगा।

ये ब्रिज के लोगों की कई सालों की कड़ी मेहनत का नतीजा है, इस ब्रिज को बनाने की मंजूरी 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने दी थी। काम 2004 में शुरू हुआ, लेकिन कई चुनौतियों की वजह से इसमें देरी हुई। 2017 में बेस का काम पूरा हुआ, और अप्रैल 2021 में मुख्य आर्च का निर्माण पूरा हुआ।

अगस्त 2022 तक ब्रिज पूरी तरह तैयार हो गया था। चिनाब ब्रिज को बनाने में करीब 1500 करोड़ रुपए की लागत आई है। इस ब्रिज को बनाने में 28,660 से 30,000 मीट्रिक टन स्टील और 46,000 क्यूबिक मीटर कंक्रीट का इस्तेमाल हुआ है, साथ ही 6 लाख से ज्यादा बोल्ट लगाए गए हैं। इस पुल को बनाने में नदी के प्रवाह को नुकसान नहीं पहुंचाया गया है, नदी में कोई पिलर नहीं है, बल्कि इसे आर्च तकनीक से बनाया गया है।

और अब सबसे अहम् बात-इस ब्रिज की खासयित

इस ब्रिज ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। जो हैरान कर देने वाले हैँं। बता दें कि चिनाब नदी के तल से इसकी ऊंचाई 359 मीटर है। यह पल विश्व में उल्लेखनीय निर्माणों में से एक फ्रांस के एफिल टावर से 35 मीटर ऊंचा है। इतना ही नहीं विश्व की सबसे ऊंची मीनार कुतुुब मीनार जिसकी ऊँचाई 73 मीटर है। उससे भी करीब 5 गुना ऊंचा है!

इसकी कुल लंबाई 1,315 मीटर जिसमें 467 मीटर लंबा आर्च है, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा सिंगल-आर्च रेलवे ब्रिज भी बनाता है। चिनाब ब्रिज को 266 किमी/घंटा की तेज हवाओं, रिक्टर स्केल पर 8 तीव्रता के भूकंप, और 40 टन टीएनटी के बराबर विस्फोट सहने के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी अनुमानित उम्र 120-125 साल है। इसमें खास पेंट का इस्तेमाल हुआ है, जो इसे 20 साल तक जंग से बचाएगा।

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