टीएमसी की दोनों लिफ्ट खराब, गर्मी में मरीजों की फूल रहीं सांसें

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टांडा अस्पताल की स्टाफ और एक मरीजों की लिफ्ट खराब होने से बढ़ गई दिक्कतें, सीढिय़ां चढऩे को मरीज मजबूर

काँगड़ा – राजीव जस्वाल

डा. राजेंद्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय टांडा अस्पताल की दो लिफ्टें खराब होने के कारण बंद पड़ी हैं। चिलचिलाती गर्मी में लिफ्ट नंबर एक तथा लिफ्ट नंबर दो के बंद होने से मरीजों सहित स्टाफ के धरातल से चौथी या अन्य मंजिलों में पहुंचने के लिए पसीने छूट रहे हैं।

एक तरफ गर्मी का पारा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। ऊपर से दो-दो लिफ्टों के बंद होने के कारण मरीजों सहित स्टाफ के लोगों को सीढिय़ों को चढऩे की खूब कसरत करनी पड़ रही हैं। स्टाफ लिफ्ट करीब छह महीनों से बंद पड़ी है, जिसे अभी तक ठीक नहीं करवाया जा सका है, जिसके कारण स्टाफ के लोगों को भारी परेशानियों को झेलना पड़ रहा है।

धरातल से चौथी मंजिल तक पहुंचने के लिए मरीजों के लिए बनी लिफ्ट का सहारा या सीढिय़ों में गर्मी के साथ कसरत करनी पड़ रही है। गर्मी के बढ़ते प्रकोप के साथ लिफ्टों के खराब होने से मरीजों खासकर बुर्जुग, गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों को अधिक परेशानियों को झेलना पड़ रहा है।

प्रदेश के दूसरे बड़े अस्पताल में लिफ्टों का बार-बार खराब होना सुविधाओं का आईना दिखा देता है, जिसका एक और आईना यह भी है कि मेडिकल स्टोर की लिफ्ट को एक साल बाद ठीक किया गया, जिसकी वजह से मेडिकल स्टोर की सीढिय़ां भी भारी सामान व गैस के सिलेंडरों को ढोते-ढोते टूट गई।

खैर सीढियां तुड़वाने के बाद अब मेडिकल स्टोर की लिफ्ट तो ठीक चल रही है। अधिकत्तर एडमिट मरीजों को टेस्ट करवाने के लिए लिफ्ट का बहुत सहारा रहता है। मरीज लिफ्ट से जल्दी अपने टेस्ट करवाने के लिए एक मंजिल से दूसरी मंजिल पहुंच जाते हैं, जिससे समय की भी बचत होती है, परंतु अब मरीजों को पैदल ही सीढिय़ों को उत्तर कर या चढक़र जाने को मजबूर होना पड़ रहा है।

सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना उन मरीजों को करना पड़ रहा है जो चलने फिरने में असमर्थ और स्टेचर या व्हील चेयर पर निर्भर हैं। हालांकि दो लिफ्टें कार्य कर रही हैं, परंतु मरीजों को चिलचिलाती गर्मी में बहुत इंतजार करना पड़ रहा है। अब ऐसे मरीजों को लंबा सफर तय करके अपने टेस्ट करवाने को जाना पड़ रहा है।

सबसे अधिक परेशानियां गर्भवतियों और बुजुर्ग मरीजों को झेलनी पड़ रही हैं। मरीजों के साथ आए तीमारदारों को भी कैंटीन से खाना या चाय लाने के लिए सीढिय़ों के माध्यम से जाना पड़ रहा है, जिसके कारण समय भी बहुत अधिक लग रहा है, जिसके चलते स्टाफ के लोगों डाक्टरों व नर्सों को भी भारी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं।

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