जिंदगी को अलविदा कह तीन जिंदगियों में खुशियां बिखेर गया नूरपुर के गंगथ का नवनीत
नूरपुर – स्वर्ण राणा
इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे 23 साल के नवनीत सिंह के अंगदान से तीन घरों में खुशियां लौट आई हैं। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के गांव गंगथ के रहने वाले इंजीनियरिंग के छात्र नवनीत को 3 जुलाई को छत से गिरने के बाद गंभीर चोट लगने पर पीजीआई लाया गया था।
पीजीआई में इलाज के दौरान शुक्रवार रात डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इस दुख की घड़ी में उनके पिता जनक सिंह ने बेटे के अंगदान का साहसिक निर्णय लेकर न केवल तीन गंभीर रूप से बीमार जिंदगियों को नया सवेरा दिया बल्कि इंसानियत की मिसाल भी कायम की।
जनक सिंह के लिए यह फैसला उनके जीवन का सबसे कठिन क्षण था। अपने युवा बेटे के अंगदान का विचार ही दिल दहला देने वाला था। मगर जब उन्हें बताया गया कि नवनीत के अंग दूसरों को जीवन का एक और मौका दे सकते हैं तो पिता का हृदय विशाल हो गया।
उन्होंने भरे गले से कहा कि हमें गर्व है कि नवनीत इनमें जीवित रहेगा। इस दुख में नवनीत की मां अंजू, बहन पूजा और दादी सत्या देवी भी दृढ़ता से उनके साथ खड़ी रहीं।
पीजीआई के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने परिवार की इस असाधारण उदारता को नमन करते हुए कहा कि उनके इस फैसले ने कई रोगियों को नई आशा और जीवन का दूसरा अवसर दिया है।
नवनीत की एक किडनी और पैंक्रियाज को पीजीआई में ही दो अलग-अलग मरीजों में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित (ट्रांसप्लांट) किया गया लेकिन दिल को दिल्ली तक पहुंचाने की चुनौती थी।
चूंकि पीजीआई में हृदय के लिए कोई उपयुक्त प्राप्तकर्ता नहीं था, इसलिए नवनीत के दिल को दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में भर्ती 26 वर्षीय एक मरीज को भेजा गया।
दिल को समय पर और बिना किसी रुकावट के पहुंचाने के लिए शनिवार सुबह 5:45 बजे मोहाली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। वहां से फ्लाइट के जरिये दिल्ली भेजा गया। इसे वहां एक मरीज को प्रत्यारोपित किया गया।
चिकित्सा अधीक्षक और रोटो के नोडल अधिकारी प्रो. विपिन कौशल ने बताया कि यह पीजीआई में 63वां पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट था। प्रो. आशीष शर्मा के नेतृत्व में रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग ने एक मरीज का एक साथ किडनी-पैंक्रियाज का सफल ट्रांसप्लांट किया। इससे टाइप 1 डायबिटीज से जूझ रहे मरीज को नया जीवन मिला।
दूसरी किडनी भी एक ऐसे मरीज में ट्रांसप्लांट की गई, जो लंबे समय से डायलिसिस पर था और अब उसे इस प्रक्रिया से मुक्ति मिल गई है।