जानिए, हरियाली तीज व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

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हरियाली तीज का व्रत सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु और सुखी दामपत्य जीवन की कामना से रखती हैं। इस साल हरियाली तीज का व्रत 11 अगस्त दिन बुधवार को पड़ रहा है। आइए जानते हैं हरियाली तीज व्रत की तिथि मुहूर्त और पूजन विधि

ज्योतिष आचार्य अमित शास्त्री

हरियाली तीज का व्रत सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु और सुखी दामपत्य जीवन की कामना से रखती हैं। करवा चौथ की तरह ही ये व्रत भी अत्यंत कठिन और महत्वपूर्ण है। इस व्रत में व्रत धारण करने वाली स्त्रियां पूरे दिन अन्न और जल का त्याग करती हैं और संध्या काल में भगवान शिव और पार्वती माता की विधि-पूर्वक पूजा कर पति की लम्बी आयु की कामना करती हैं। इस साल हरियाली तीज का व्रत 11 अगस्त दिन बुधवार को पड़ रहा है। आइए जानते हैं हरियाली तीज व्रत की तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि..

हरियाली तीज व्रत की तिथि और मुहूर्त

हरियाली तीज का व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। सावन माह में पड़ने के कारण इसे हरियाली तीज कहा जाता है। इस दिन महिलाओं का हरे कपड़े पहनना और मेंहदी लगाना शुभ माना जाता है। इस साल ये तिथि 11 अगस्त दिन बुधवार को पड़ रही है। हालांकि की तृतीया की तिथि 10 अगस्त को शाम 6:11 से शुरू हो जाएगी और 11 अगस्त को शाम 4:56 तक रहेगी। लेकिन उदया तिथि होने के कारण व्रत 11 अगस्त को ही रखा जाएगा।

व्रत और पूजन की विधि

हरियाली तीज का व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं रखती हैं। इस दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त हो कर शिव-पार्वती का स्मरण कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद दिन भर अन्न और जल भी ग्रहण नहीं किया जाता है। हरियाली तीज की शाम को अपने हाथों से बनाए गए कच्ची मिट्टी के शिव-पार्वती की प्रतिमा की पूजा जाती है।

पूजा में भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, मदार, रोली , अछत आदि चढ़ाया जाता है। जबकि माता पार्वती को श्रृगांर का समान चुनरी, सिंदूर, चूड़ियां और बिंदी आदि चढ़ाना चाहिए। पंचामृत का भोग लगा कर भगवान शिव और माता पार्वती से पति की दीर्घ आयु और सुखी दामंपत्य जीवन की कामना करनी चाहिए।

करवा चौथ के व्रत से भी अधिक कठिन होता है हरियाली तीज पर्व का व्रत

करवा चौथ की तरह हिंदू धर्म में हरियाली तीज त्योहार का विशेष महत्व है। दिल्ली-एनसीआर के साथ उत्तर भारत के कई राज्यों में करोड़ों महिलाओं द्वारा हर साल मनाए जाने वाले हरियाली तीज पर्व के व्रत को करवा चौथ के व्रत से भी कठिन माना जाता है। इस पर्व में महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और अगले दिन व्रत तोड़ती हैं।

इस वर्ष हरियाली तीज का त्योहार आगामी 11 अगस्त को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म की मान्यता और हरियाली तीज के पर्व के मुताबिक, इस पर्व के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति लंबी की उम्र के लिए व्रत रखती हैं। खास बात यह है कि महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं यानी की सुहागिनें इस दिन पूरे व्रत के दौरान पानी तक नहीं पीती हैं।

ऐसे में इसे करवा चौथ के व्रत से भी कठिन माना जाता है। व्रत रखने की कड़ी में इस रोज भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। यहां पर यह बता देना जरूरी है कि हिंदू धर्म में हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है और हर साल हरियाली तीज सावन महीना के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।

इसलिए मनाया जाता है पर्व

ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। पार्वती का कठोर तप देखकर भोलेनाथ प्रसन्न हो गए। इसमें खास बात यह है कि हरियाली तीज के दिन ही माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। पुजारियों के मुताबिक, इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अंखड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है।

यह भी जानें

हरियाली तीज रोज सुहागिनें हरी रंग की चूड़ियां और हरे रंग की कपड़े पहनने को प्राथमिकता देती हैं। इस दौरान महिलाएं सोलह श्रृंगार करने के साथ हाथों में मेहंदी लगाने का विशेष महत्व होता है। करवचौथ में भी महिलाएं मेहंदी लगवाती हैं। हरियाली तीज के मौके पर खासतौर से नवविवाहति युवती को ससुराल से मायके बुलाया जाता है। इस दौरान सुहागिन के ससुराल से मिठाई के साथ-साथ कपड़े और गहने आते हैं।

झूला भी झूलती हैं महिलाएं

हरियाली तीज त्योहार के मौके पर खासतौर से महिलाएं झुला झुलती हैं। इस दौरान सावन के गीत भी गाए जाते हैं। इस दौरान महिलाएं समूह में रहती हैं, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इस बार भी महिलाएं पूर्व की तरह यह पर्व नहीं मनाएं तो बेहतर है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।’

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