चम्बा – भूषण गुरुंग
आगामी फायर सीजन को लेकर वन विभाग ने अभी से अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं जिससे कि फायर सीजन के दौरान जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं को रोका जा सके। इस बारे में आज वनमंडल अधिकारी डल्हौजी रजनीश महाजन ने यहां प्रेस कांफ्रेंस करके वन विभाग द्वारा की जा रही तैयारियों की जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि फायर सीजन के दौरान जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं को रोकने हेतु विभाग ने कई तरह की तैयारियां की है और इस बारे में कई विशेष प्रबंध भी किए गए हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए ग्राम स्तर पर कमेटियाँ गठित करके लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
साथ ही एक वाहन द्वारा रैपिड रिस्पांस टीम पूरे क्षेत्र में अनाउंसमेंट करके लोगों को जंगलों की आग से होने वाले दुष्परिणामों बारे में लोगों को जानकारी देते हुए जागरूक कर रही है। साथ ही उन्होंने बताया कि विभिन्न तरीकों से इन घटनाओं पर नजर रखी जाएगी।
जिसमें 39 ग्राम समितियां एवं हाल ही में रखे गए 47 वन मित्रों की मदद ली जाएगी और फायर वाचर भी नियुक्त किए जा रहे हैं, जो की इन सारी घटनाओं पर नजर रखते हुए न केवल इन घटनाओं को रोकने का प्रयास करेंगे अपितु विभाग को भी इसकी जानकारी देंगे और आग लगाने वालों की जानकारी देने वालों को उचित इनाम देने के साथ-साथ उनका नाम भी गुप्त रखा जाएगा और आरोपियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।
डीएफओ डलहौजी रजनीश महाजन ने बताया कि डलहौजी वन मंडल के अंतर्गत 9000 हैकटेयर चीड़ व पाईन वाला वन क्षेत्र है जो की वन अग्नि की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है और इसमें हर वर्ष कुछ स्वार्थी लोग घास के लालच में या लापरवाही के कारण आग की घटनाओं को अंजाम देते हैं। जिससे कई तरह के वन्य जीव और वन्य पौध का नुकसान होता है जो की अति दुखद बात है।
उन्होंने बताया उनके वन क्षेत्र के अंतर्गत 58 किलोमीटर फायर लाइन है जो की फायर ब्रेक लाइन का काम भी करती है। उन्होंने बताया कि फायर सीजन के दौरान पूरे क्षेत्र में ग्राम पंचायतों के लोगों के द्वारा ठीकरी पहरे भी लगाए जा रहे हैं जिसमें ग्राम वासियों के साथ-साथ वन विभाग के लोग भी शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा और भी कई तरह के जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं लेकिन जन सहयोग के बिना इस तरह की वन अग्नि के घटनाओं को रोकना एक बड़ी चुनौती होती है। इसलिए उन्होंने लोगों से अपील की कि अधिक से अधिक जन सहयोग कर वन विभाग का अधिक से अधिक जन सहयोग करें जिससे कि वन संपदा को अग्नि से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।

