छापेमारी मीडिया की गरिमा को ठेस- राम लाल ठाकुर

--Advertisement--

बिलासपुर, सुभाष चंदेल

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य, पूर्व मंत्री व विधायक श्री नयना देवी जी विधानसभा क्षेत्र राम लाल ठाकुर ने कहा कि लोकतंत्र में हर विषय को कहीं पर नियोजित करने से पहले खुली बहस होती आई है और लोकतंत्र में आपसी बहस और विचार विमर्श के बाद ही मसलों को परख कर जनता की सहूलियतों के लिए रखा जाता है।

लोकतंत्र में मीडिया को पूरा अधिकार और परम्परा है कि सच्चाई को सामने लाया जाए। मीडिया को सच्चाई लिखने से रोकना साम्राज्यवाद और फासीवाद की पहली सीढ़ी है। जबकि इस देश ने आजादी की लड़ाई अपनी तर्कशक्ति और अहिंसात्मक आंदोलनों पर जीती है।

गुरुवार की सुबह, देश के दैनिक अखबार के समूह के दफ्तरों और उसके मालिकों के घरों पर सरकारी एजेंसियों की छापेमारी की खबर का पता चला और कुछ ही समय बाद पता चला कि लखनऊ (यूपी) से संचालित एक चर्चित न्यूज चैनल के संपादक, निदेशक और कुछ एक अन्य संपादकीय कर्मियों के घरों पर भी छापेमारी चल रही है।

हाल के दिनों में मीडिया प्रतिष्ठानों पर आयकर और अन्य सरकारी एजेंसियों की छापेमारी का सिलसिला एक प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल से शुरू हुआ था। इस क्रम में अब तक तीन प्रतिष्ठानों पर छापेमारी हो चुकी है। आगे न जाने कहां-क्या होगा? अगर ध्यान से देखें तो छापे की इन घटनाओं में एक निश्चित पैटर्न दिखता है।

हाल में घटित ऐसी छापेमारी की घटनाएं आमतौर पर राजनीतिक विरोधियों या प्रतिस्पर्धियों के खिलाफ डाले जाते थे। लेकिन राजनीति-प्रेरित छापेमारियों की जद में वह मीडिया में भी आ गया है, जिसके कामकाज, लेखन, रिपोर्टिंग या विश्लेषण से हमारे मौजूदा सत्ताधारी असहज महसूस करने लगे हैं।

पहले पत्रकारों या संपादकों को विभिन्न मामलों में फंसाने, उनके विरूद्ध एफआईआर आदि दर्ज कराने जैसे कदम उठाये गये। कुछ पत्रकारों को जेल भी भेजा गया ताकि दूसरे अन्य पत्रकारों को डराया जा सके। लेकिन अब बड़े, छोटे या मझोले मीडिया संस्थानों और कम निवेश वाले न्यूज पोर्टल्स आदि पर आयकर या ईडी के छापों के जरिये मौजूदा सत्ताधारी देश में प्रेस की आजादी का एक छोटा कोना भी नहीं छोड़ना चाहते। यह एक बड़ा निंदनीय विषय है।

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि मीडिया को सबके सामने सच को दिखाना चाहिए। क्या मीडिया समूह पर होने वाले सत्ता के निरंकुश हमलों को लेकर नागरिकों या समाज को उदासीन या उन हमलों के पक्ष में हो जाना चाहिए? उन्होनें कहा कि अपने को बहुजनवादी बौद्धिक समझने वाले कुछ लोगों की यह सोच न सिर्फ निहायत संकीर्ण है अपितु इसमें हास्यास्पद किस्म का बचकानापन भी साफ झलकता है।

आज के दौर में राजनैतिक-प्रशासनिक परिदृश्य नजर आता है, उसमें आम आदमी, बुद्धिजीवी या पत्रकार किसी मीडिया संस्थान या प्रतिष्ठान को किस तरह देखें और आंके? जिस तरह उसके मालिकों, सपादकों या प्रबंधकों ने सोचा था, उनके किये और सोचे में आज बड़ा और साफ-साफ दिखाई देने वाला फर्क न आया होता तो सरकारी एजेंसियां इस ताबड़तोड़ ढंग से उनके प्रतिष्ठानों पर छापेमारी क्यों कर रही होंतीं?

अगर पेगासस जासूसी कांड पर इन दैनिक के बीते चार दिनों का कवरेज देखें तो इसे समझना कठिन नहीं है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि मीडिया को अपनी भूमिका को समझने का और पत्रकारिता के नए आवाम को गढ़ने का, जिसकी इस देश, प्रदेश और आमजन को जरूरत है। बाकी उन्होंने कहा कि यदि वह इससे ज्यादा तीखा प्रहार करेंगे तो वह गांधीवादी सोच और लोकतंत्र की सीमाओं का उल्लंघन होगा।

--Advertisement--

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

--Advertisement--

Popular

More like this
Related

शाहपुर में शीघ्र मिलेगी ऑपरेशन थियेटर-डायलेसिस की सुविधा पठानियां

कहा... उपमण्डल स्तर की शिकायत समिति की बैठक एक...

श्री सत्य साईं बाबा की 99वीं जयंती पर निकाली भव्य पालकी शोभायात्रा

चम्बा - भूषण गुरुंग श्री सत्य साईं बाबा की 99वीं...

राज्य स्तरीय सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में छाए ककीरा के होनहार

चम्बा - भूषण गुरुंग राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ककीरा...

मछली पालकों के लिए एक दिवसीय चेतना शिविर आयोजित

मछली पालकों के लिए एक दिवसीय चेतना शिविर आयोजित मंडी,...