
चम्बा, भूषण गुरूंग
चम्बा जिला पिछड़ेपन को लेकर देश की 115, पायदान पर क्यों खड़ा है इसका खुलासा मीडिया की टीम ने एक स्टिंग ऑपरेशन करके दिखाया है। मीडिया की टीम को गुप्त सूचना मिली कि चम्बा के मेडीकल कॉलेज में 10, साल पहले की एक नही अपितु सैकड़ों एक्सपायर हो चुकी दवाईयो का जखीरा स्टोर में पड़ा हुआ है।
मीडिया की टीम चम्बा के मेडिकल कॉलेज के उस स्टोर में जा पहुंची जहां पर इन दवाइयों को रखा गया था। हैरान करने वाली यह बात भी देखने को मिली जहां पर इन 10, साल एक्सपायर हो चुकी दवाइयों को रखा गया था उसी स्टोर से रोजाना रूटीन की दवाइयों को मरीजों के लिए ले जाया जाता है।
अब स्वाल यह उठता है कि आखिरकार यह 10, साल पुरानी एक्सपायर हो चुकी दवाइया इस स्टोर में क्या कर रही है। इस सवाल का जबाव तलाशने में मेडिकल कॉलेज के मुखिया से बात की तो वह इस बात को सुनकर भोचक्के रह गए और उन्होंने अपने साथ आए मेडिकल सुप्रिडेंट के सिर पर इस बात को डाल दिया,पर हैरानी की बात तो यह देखने को मिली कि मेडिकल सुप्रिडेंट जिनके पास करीब करीब सारे मेडिकल कॉलेज की देखरेख का जिम्मा होता है उनको भी इस बात का इल्म नहीं था कि उनके हस्पताल के स्टोर में 10, साल पुरानी एक्सपायर हो चुकी दवाइया होंगी।
मीडिया की टीम के पास इस बात के पुख्ता सबूत थे जिसके आधार पर यह मुद्दा उठाया था। हालंकि बात इतनी पुख्ता थी।जब इसके बारे मे मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और मेडिकल सुप्रिडेंट के हाथ पांव फूलना तो स्वाभाविक था। सनसनी फैला देने वाले इस मामले को देखते हुए मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य ने उसी जगह खड़े खड़े सबको फोन करना शुरू कर दिए। और इस मामले की छानबीन करना शुरू कर दी तो पता चला कि यह दवाइयां जिसका कि 10, साल पहले सैंपल फेल हो चुका था और इन दवाइयों को स्टोर में इसलिए रखा हुआ था की इन दवाइयों के सैंपल फेल हो चुके थे और यह कम्पनी को वापिस करनी थी पर सवाल यह उठता है कि इन एक्सपायर दवाइयों को रूटीन वाले स्टोर में क्यों रखा गया था। इसका जवाब उनके पास नहीं था।
यह चम्बा का मेडिकल कॉलेज जिसका की नाम पंडित जवाहरलाल नेहरू रखा गया है। और इस मेडिकल के मुख्याद्वार पर बड़े बड़े होडिंग बोर्ड पर लिखा गया है कि (सावधानी बरते सुरक्षित रहे) यह किसलिए लिखा गया है और इसके क्या मायने है शायद विभाग के आला अधिकारियों को खुद नहीं मालूम।
विभाग की इतनी बड़ी लापरवाही स्टोर में रखी एक्सपायर दवाइयों तक में ही खत्म नहीं हो जाती है पर इसके आगे की कहानी सुनने के बाद तो कोरोना चम्बा जिले में कितना कर फेल सकता है उसका खुलासा भी किया।
मिडिया की टीम ने चम्बा मेडिकल कॉलेज के पिछले भाग में जाकर देखा तो पाया कि इससे कंही ज्यादा विभाग द्वारा फेंकी गई दवाइयों के खाली रेपर ,खाली इंजेक्शन, गलवज और बहुत से अन्य सामग्री को पहाड़ी से नीचे बहती साल नदी के पास पहुंचा दिया गया है। अब सवाल यह उठता है कि साल नदी का पानी जोकि थोड़ी दूर जाकर रावी नदी में मिल जाता है तो क्या आने वाली बरसात के दिनों में फेंकी गई दवाइयों का घोल इस पानी में मिलकर तबाही नहीं फैला सकता है।
आपको यह भी बता दे कि सरकार ने खुद कई उठाऊ जल योजनाओं की मंजूरी इन्ही नालों और रावी नदी में स्वीकृत की हुई है जिसमे करोड़ो रुपयों की स्कीमों को चालू किया हुआ है तो क्या यह दवाइयों से दूषित हो चूका पानी जिले के लोगों को संक्रमित नहीं कर सकता है
इन सब की जानकारी लेने के लिए मीडिया की टीम ने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल रमेश भारती से बात करी तो वह यह सब सुनकर भौचक्के रह गए और उनके मेडिकल कॉलेज में 10 साल से एक्सपायर दवाइयों को रखा गया है। हालंकि उन्होंने इस बात को माना कि कोई भी दवाई जब एक्सपायर हो जाती है तो उसको डिस्ट्रॉय कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर इस तरह का कोई मामला सामने आता है तो स्टोर कीपर को उससे इस बारे पूछा जायेगा और उसके विरुद्ध करवाई की जायेगी .
