चम्बा- भूषण गूरुंग
विश्व पटल पर चंबा थाल और सलूणी के मक्का को विशेष पहचान मिल सकती है। जिला प्रशासन ने भारत सरकार को चंबा थाल और मक्का को जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग देने के लिए प्रस्ताव भेजा है। इसे अनुमति मिलने की उम्मीद है।
जीआई टैग एक प्रतीक है, जो किसी वास्तु कला और उत्पाद आदि को एक निर्धारित स्थान से जोड़ता है। उत्पाद को उसके मूल क्षेत्र से जोड़ने के साथ उसकी गुणवत्ता एवं विशेषता भी बताता है।
आर्ट एंड क्राफ्ट प्रमोशन सोसायटी जिले के विभिन्न उत्पादों को ख्याति दिलाने के लिए प्रयासरत है। चंबा रुमाल और चप्पल को दो जीआई टैग प्राप्त हैं। किसी भी उत्पाद को जीआई टैग मिलने के बाद इसकी कोई नकल नहीं कर सकता है।
जीआई टैग उस व्यवसाय से जुड़े लोगों को भी मिलता है। इसके लिए विशेषकर उत्पाद की गुणवत्ता सहित कार्य कुशलता को भी देखा जाता है।
क्या है चंबा थाल की विशेषता
पीतल पर हाथों से कलाकृतियां उकेर कर तैयार किया जाने वाला चंबा थाल अपने आप में खास है। इस पर पहले हिंदू देवी-देवताओं की कलाकृतियां उकेरी जाती थीं। समय के साथ इसमें देवी-देवताओं के अलावा गद्दी समुदाय सहित हिमाचली संस्कृति से जुड़ी कलाकृतियां उकेरी जाने लगीं। यह तीन आकार और वजन में उपलब्ध है।
सबसे छोटा आकार 11 इंच और वजन चार सौ ग्राम तक होता है। मध्यम थाल 15 इंच तथा करीब आठ सौ ग्राम का होता है। सबसे बड़ा थाल 23 इंच और पौने दो किलो तक का होता है। छोटे थाल की कीमत करीब 1400, मध्यम आकार की कीमत दो हजार तथा बड़े थाल की कीमत करीब तीन हजार रुपये तक होती है।
पीएम मोदी, सचिन को भी भेंट किए गए हैं चंबा थाल
दिसंबर 2021 में मंडी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने चंबा थाल भेंट किया था। क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को भी जिले के शिल्पकार प्रकाश चंद चंबा थाल पर उनका पोट्रेट उकेरकर भेंट कर चुके हैं।