चम्बा- भूषण गुरुंग
आज गोरखा समाज के महिलाओ द्वारा तीज का व्रत जिसे हरितालिका तीज के नाम से भी जाना जाता है। बहुत ही हर्षोलास से मनाया गया। महिलाये सुबह से ही भगवान शिव के मंदिर में एकत्रित होकर भगवान शिव के मंदिर में जाकर के उनको दूध दही शेहद औऱ गंगा जल के साथ स्नान करवा कर उनको नया बस्तर धारण किया गया ।औऱ उनकी पसंद की सभी चीजे उनको चढ़ाया जाता है।
जो,तील,दुर्व भांग,धतूरा, दूध दही और फला हार चढ़ाया । शाम को फिर सभी महिलाए मंदिर में एकत्रित हो कर सभी अपने साथ पुजा का सामान लेकर आते है। जिसमे जो तिल दूध दही पंचमेवा भाग धतूरा और फल और प्रसाद और एक बड़ा मिट्टी का दीया लेकर के आते है। दीये को भगवान शिव के आगे जलाए जाते है । रात भर उस दिये के आगे बैठ कर पूरी रात भजन कीर्तन किया जाता है। रात भर उस दिया को बुझने नही दिया जाता है। जो दीया बुझ जाता है उसको अशुभ माना जाता है ।
वही पंडित राम प्रसाद के अगुवाई मे सभी महिलाओं को इकठ्ठा बिठाकर पूजन करवाने के बाद ब्रत कथा सुनाया जाता। और ब्रत के महत्व के बारे मे बताया । पंडित रामप्रसाद ने बताया की ये ब्रत श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 11वा दिन में आता है। इस दिन महिलाये सुबह नहा धोकर नया सुहाग के वस्त्र धारण करके अगले दिन सुबह तक भजन कीर्तन किया जाता है। उसके बाद आरती उतारी जाती है।और सूरज के पहली किरण जैसे ही निकलती है। उसके साथ ही पति के हाथों से जल ग्रहण कर के ब्रत को तोड़ा जाता है।