हिमखबर डेस्क
कांगड़ा के गगल एयरपोर्ट को विस्तार देकर राज्य का पहला अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने की प्रोजेक्ट में राज्य सरकार को अब एक साल और मिल गया है। फंडिंग फार्मूला या स्रोत तय नहीं हो पाने के कारण मंत्रिमंडल ने कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार की प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया है।
इसकी भूमि अधिग्रहण कार्रवाई के लिए ‘भूमि अधिग्रहण’ पुनर्वास और पुनर्स्थापना में उचित मुआवजा और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 की धारा-26 के तहत समय सीमा को एक वर्ष के लिए यानी 16 अगस्त, 2026 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।
अब राज्य सरकार को फंडिंग जुटाने के लिए इतना समय और मिल गया है। इस अधिग्रहण के लिए राज्य सरकार पर पडऩे वाले खर्च की लागत 3500 करोड़ से ज्यादा है। अभी तक करीब 900 करोड़ के अवार्ड हुए हैं और इनमें से करीब 500 करोड़ बनता जा चुका है।
यह प्रोजेक्ट मुख्यमंत्री की प्राथमिकता का है, इसलिए हर संभावना पर विचार किया जा रहा है। वर्तमान में हिमाचल के पास एक भी एयरपोर्ट ऐसा नहीं है, जहां पर बड़े जहाज उतर सकें। राज्य सरकार भारत सरकार की हाउसिंग एंड अर्बन डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन यानी हुडको के फंडिंग फॉर्मेट को स्टडी कर चुकी है।
इसके बाद प्रधानमंत्री की विशेष ग्रांट से पैसा लेने के लिए केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय को पत्र लिखा गया है। यह पत्र भी मुख्यमंत्री की तरफ से भेजा गया है और अब जवाब का इंतजार है। कांगड़ा एयरपोर्ट के विस्तार के लिए राज्य सरकार को भूमि अधिग्रहण पर ही 3500 करोड़ खर्च करने हैं।
अभी तक करीब 500 करोड़ भूमि अधिग्रहण के लिए प्रभावितों में बांटे गए हैं। राज्य सरकार कांगड़ा एयरपोर्ट के विस्तार के लिए 14 गांवों की 122 हेक्टेयर जमीन लेने जा रही है। इसमें 10 गांव कांगड़ा और चार गांव शाहपुर तहसील के हैं।इस भूमि अधिग्रहण में 942 परिवार प्रभावित होंगे, जिन्हें बसाने के लिए राज्य सरकार 15 हेक्टेयर जमीन भी उपलब्ध करवाएगी।
इस भूमि अधिग्रहण में कुल 27928 पेड़ जा रहे हैं, जिनमें 9678 फलदार पौधे भी शामिल हैं। भूमि अधिग्रहण क्षेत्र में 24,011 कच्चे और 1,22,078 वर्ग मीटर पक्के स्ट्रक्चर भवन निर्माण के लिए जा रहे हैं।

