काँगड़ा: अपाहिज सिस्टम ने होनहार कुश्ती खिलाड़ी को बना दिया दिव्यांग, पोते को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहा दादा

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नूरपुर – स्वर्ण राणा

‘अपाहिज’ सिस्टम ने होनहार छात्र और कुश्ती खिलाड़ी को दिव्यांग बना दिया। इसके बाद न ही सरकार ने और न विभाग ने पीड़ित परिवार की सुध ली। 17 साल के पोते को न्याय दिलाने के लिए 75 वर्षीय बुजुर्ग दादा सिस्टम से लड़ रहे हैं। यह मामला है नूरपुर विस क्षेत्र के गांव खज्जियां (खेल) के पूर्व सैनिक पुन्नू राम के पोते गौतम जरियाल का।

बता दे कि गौतम जरियाल राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला भड़वार में जमा एक का होनहार छात्र था। 25 सितंबर, 2023 को बरड़ा स्कूल में आयोजित जोनल टूर्नामेंट में कुश्ती प्रतियोगिता के दौरान अंदरूनी चोट लगने से वह अचानक अचेत हो गया था। उसकी गर्दन के पास रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई। इसके बाद गर्दन से निचले हिस्से ने काम करना पूरी तरह बंद कर दिया।

आठ माह से स्पाइन अस्पताल में चल रहा इलाज

करीब 5 महीने तक टांडा मेडिकल काॅलेज में इलाज के दौरान कोई सुधार नहीं होने के चलते अब 8 माह से उसका चंडीगढ़ के स्पाइन अस्पताल में इलाज चल रहा है। वहां हर माह 60 हजार रुपये से ज्यादा का खर्च करना परिवार के लिए मुश्किल हो रहा है।

विडंबना यह है कि सरकारी स्कूल के टूर्नामेंट में चोटिल हुए छात्र की आज तक सरकार और शिक्षा विभाग ने सुध तक नहीं ली। इकलौते पोते को इंसाफ दिलाने के लिए सारी जमा पूंजी लुटाने के बाद बुजुर्ग दादा पुन्नू राम नेताओं से लेकर अफसरों तक के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो पाया।

सरकार और विभाग ने सुध तक नहीं ली

स्कूल स्टाफ की तरफ से हादसे के वक्त थोड़ी आर्थिक मदद मिली, लेकिन परिवार को इस बात का मलाल है कि गौतम की सरकार और विभाग ने सुध तक नहीं ली। चिकित्सकों ने गौतम के लिए स्पेशलाइज्ड व्हील चेयर की अनुशंसा की है, जिसकी कीमत लगभग डेढ़ लाख रुपये है लेकिन गौतम का परिवार पहले से ही चंडीगढ़ में महंगे इलाज के खर्च के बोझ से दबा हुआ है। गौतम के दादा पुन्नू राम के मुताबिक सरकारी सिस्टम की लाचारी ने आज उन्हें भिखारी बना दिया है।

बहन को छोड़नी पड़ी पढ़ाई

गौतम के पिता राजेंद्र जरियाल एचआरटीसी में चालक हैं, जो खुद मधुमेह के रोगी हैं। गौतम की बड़ी बहन सुषमा अपनी स्नातकोत्तर डिग्री की हिमाचल प्रदेश विवि की सीट छोड़कर अपनी मां के साथ चंडीगढ़ में गौतम की देखभाल कर रही हैं। गौतम की दूसरी बहन को भी घर में बीमार पिता और बुजुर्ग दादा के लिए पढ़ाई छोड़कर वापस आना पड़ा। इसके बावजूद बिना सरकारी मदद के गौतम के महंगे इलाज ने परिवार की कमर तोड़ दी है।

कार्यवाहक प्रिंसिपल वेणु बाला के बोल

इधर, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला भड़वार की कार्यवाहक प्रिंसिपल वेणु बाला ने कहा कि यह मामला उनके ज्वाइन करने से पहले का है और जहां तक उनके ध्यान में है तो स्कूल स्टाफ ने आपसी सहयोग से परिवार की थोड़ी मदद की थी।

नूरपुर विधायक रणवीर सिंह निक्का के बोल 

मामला ध्यान में है और गौतम के दादा पुन्नू राम को अपनी तरफ से हरसंभव सहयोग के लिए आश्वस्त किया है। यह मसला सरकार के समक्ष भी उठाया जाएगा, ताकि भविष्य में किसी भी बच्चे या परिवार को ऐसी यातना से न गुजरना पड़े। इस मामले से शिक्षा व खेल विभाग को भी सबक लेकर कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।

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