वर्ष 2018 में उद्योग विभाग ने इनके नाम भेजे थे, अब इनका चयन हुआ है। अंजलि ने आठ माह की कड़ी मेहनत के बाद रेशम के रुमाल पर दुर्गा मां के दस अवतारों को उकेरा है।
चम्बा- भूषण गुरूंग
विश्व प्रसिद्ध चंबा रुमाल को नई बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए अंजलि वकील और अनिता का चयन हस्तशिल्पी राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए हुआ है। राष्ट्रपति अक्तूबर या नवंबर में इन्हें एक-एक लाख रुपये की धनराशि और ताम्रपत्र देंगे। वर्ष 2018 में उद्योग विभाग ने इनके नाम भेजे थे, अब इनका चयन हुआ है।
अंजलि ने आठ माह की कड़ी मेहनत के बाद रेशम के रुमाल पर दुर्गा मां के दस अवतारों को उकेरा है। अनिता ने बगीचे में नायक-नायिकाओं के साथ नीले रंग में राधा-कृष्ण रुमाल पर उकेरे हैं। इसके लिए उन्हें साढ़े चार महीने का वक्त लगा है।
सास से सीखी कारीगरी को शिखर ले जाऊंगी : अंजलि
अंजलि वकील ने राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए पूरा श्रेय अपनी सास ललिता वकील को दिया है। तीन राष्ट्रीय पुरस्कार, शिल्पगुरु, नारी शक्ति आदि पुरस्कार हासिल करने वाली ललिता वकील बहू अंजलि को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने से गदगद हैं। उन्होंने कहा कि चंबा रुमाल को जीवित रखने की परंपरा को अब बहू आगे लेकर जाएगी।
वहीं, अंजलि ने बताया कि वर्ष 2006 में उनकी शादी अमित वकील से हुई। शादी के बाद वह अक्सर सास ललिता को रेशम के कपड़े पर रंग-बिरंगे धागों से कारीगरी कर रुमाल तैयार करते देखा करती थीं। यहीं से उन्हें भी रुमाल बनाने की ललक उठी। सास से सीखी कारीगरी से गरीब परिवारों की लड़कियों को अपने पांव पर खड़ा करना ही अब उनका लक्ष्य है।
मां ने सिखाया, ससुराल वालों ने आगे बढ़ाया : अनिता
राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित अनिता ने बताया कि वह 18 वर्ष से चंबा रुमाल बना रही हैं। उनकी मां बीना देवी को इसमें महारत हासिल है। मां को महीन कारीगरी से रुमाल बनाता देख उन्हें भी इसमें कुछ कर दिखाने की जिज्ञासा जागी। उन्होंने मां से पूरी लग्न से रुमाल बनाना सीखा। शादी के बाद पति लाल चंद गांव धडयानू डाकघर पुखरी गईं तो ससुराल पक्ष ने भी उनके हुनर को पहचाना।
ससुराल ने प्रोत्साहित कर उन्हें आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि चंबा रुमाल को ख्याति दिलाना ही उनका मुख्य लक्ष्य है। विभाग द्वारा चंबा कढ़ाई के प्रशिक्षण के दौरान उन्हें भी बुलाया जाता है। वह अब तक 300 युवतियों और महिलाओं को चंबा रुमाल का प्रशिक्षण अपने स्तर पर दे चुकी हैं।