इस बार हिमफैड नहीं करेगी सेब का कारोबार, एचपीएमसी प्रदेश में खोलेगा 263 सेब खरीद केंद्र

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शिमला – नितिश पठानियां

हिमाचल प्रदेश में इस बार हिमफैड सेब के कारोबार में नहीं जुड़ेगा। सूत्रों के अनुसार चूंकि अब नई शर्तों के आधार पर बागबानों से गुणवत्तायुक्त सेब की खरीद की जानी है, तो मंडी मध्यस्थता योजना यानी एमआईएस के तहत केवल एक ही एजेंसी को सरकार काम सौंपने जा रही है।

इसे लेकर अगली कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया जाएगा जहां एमआईसी की सेब खरीद का पूरा काम एचपीएमसी को सौंपने पर निर्णय हो सकता है।

इसके साथ कैबिनेट बैठक में सेब का खरीद मूल्य भी तय किया जाएगा, जोकि अभी तक तय नहीं हो सका है। हालांकि प्रदेश में सेब का सीजन शुरू हो गया है और मंडियों में सेब पहुंचने लग पड़ा है, मगर अभी सरकार को एमआईएस की खरीद प्रक्रिया को फाइनल करना है।

एचपीएमसी में सेब पर आधारित उत्पाद तैयार करने के लिए दो नए संयंत्र स्थापित कर दिए हैं और आधुनिक संयंत्र में बेहतरीन उत्पाद तैयार किए जाएंगे। ऐसे में सरकार चाहती है कि पूरा सेब एक ही एजेंसी को दिया जाए, जो इसका उचित उपयोग करेगी।

हिमफैड भी इस काम को करती थी, लेकिन उसके पास आधारभूत ढांचे की कमी है और फिर सेब को उसे भी आगे बेचना ही होता है, क्योंकि वह इससे किसी तरह के उत्पाद तैयार नहीं करती है।

ऐसे में सरकार उससे यह काम न करवाने पर विचार कर रही है और पूरा कारोबार एचपीएमसी को ही सौंपने पर विचार हो रहा है। इसे लेकर अभी फैसला कैबिनेट की बैठक में होगा।

सूत्रों की मानें तो एचपीएमसी को 263 सेब खरीद केंद्र खोलने को कहा गया है। ये सेब खरीद केंद्र एचपीएमसी द्वारा शिमला जिला के अलावा कुल्लू, मंडी, किन्नौर व चंबा जिलों में खोले जाएंगे।

सबसे अधिक सेब शिमला जिला में मिलता है, वहीं कुल्लू जिलों में भी बागबान एमआईएस के तहत सेब बेचते हैं। इस बार भी पिछले साल की तरह ही बी या सी ग्रेड का सेब खरीदा जाएगा। तय है कि डी ग्रेड का सेब नहीं लिया जाएगा।

पिछले साल सरकार ने एमआईएस के तहत कई तरह की नई शर्तों का समावेश किया था और नई शर्तों के आधार पर गुणवत्तायुक्त सेब की ही खरीद की जाती है।

वर्तमान में सरकार ने इस एजेंसी के फायदे के लिए कई अहम फैसले लिए हैं, जिनका असर इस सेब सीजन में देखने को मिलेगा। फिलहाल एचपीएमसी ही सेब खरीद का कारोबार करेगी और किन शर्तों पर यह किया जाएगा, यह जल्द साफ हो जाएगा।

कैबिनेट में इस पूरे प्रस्ताव को ले जाया जाएगा, जिसमें सरकार आगे कुछ बड़े निर्णय लेगी। अभी तक एमआईएस की सेब खरीद का मूल्य 12 रुपए प्रति किलो रखा गया है, जिसे पिछले साल भी बढ़ाया नहीं गया था।

माना जा रहा है कि इस साल भी यह रेट शायद ही बढ़ेगा, लेकिन फैसला कैबिनेट को परिस्थितियों को देखकर लेना है।

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