शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश में मुख्य सचिव के पद को लेकर अक्सर आईएएस अधिकारियों के बीच लॉबिंग और चर्चाएं होती हैं। शीर्ष पद के दावेदारों में कई नाम सामने आते हैं, लेकिन 1989 बैच के आईएएस अधिकारी के. संजय मूर्ति का नाम शायद ही कभी सुना गया हो। बावजूद इसके उन्होंने अपनी योग्यता और अनुभव के दम पर भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक का शीर्ष पद हासिल कर लिया है।
हिमाचल प्रदेश कैडर के 1989 बैच के आईएएस अधिकारी के. संजय मूर्ति को गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के रूप में शपथ दिलाई। मूर्ति की विशेषज्ञता वित्तीय प्रशासन, राजकोषीय संघवाद और सुशासन के ढांचे को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगी।
आंध्र प्रदेश के निवासी और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.ई. डिग्रीधारी मूर्ति ने अपने लंबे प्रशासनिक करियर में शिक्षा मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव समेत कई अहम पद संभाले। वित्तीय प्रशासन और सुशासन में उनकी विशेषज्ञता ने उन्हें इस प्रतिष्ठित पद तक पहुंचाया हालांकि, हिमाचल प्रदेश में वे कभी मुख्य सचिव बनने का मौका नहीं मिला। वर्तमान में हिमाचल के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, जो मूर्ति के जूनियर हैं और इस पद पर कार्यरत हैं।
के. संजय मूर्ति का CAG बनना हिमाचल प्रदेश के लिए गर्व की बात है और यह साबित करता है कि यहां के अधिकारी राष्ट्रीय स्तर पर भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। यह राज्य सरकार के लिए एक संदेश है कि ऐसे काबिल अफसरों को प्रदेश में ही शीर्ष पदों पर अवसर दिया जाए, जिससे वे हिमाचल की बेहतरी में योगदान दे सकें। उनकी नियुक्ति न केवल उनकी मेहनत का सम्मान है, बल्कि अन्य अधिकारियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है।