व्यूरो रिपोर्ट
अफगानिस्तान के जलालाबाद में तालिबानियों ने एक बार फिर गोलीबारी की है। हालांकि फायरिंग हवा में की गई, लेकिन इसका मकसद अफगानियों द्वारा तालीबानी हकूमत को स्वीकार करना ही रहा। फायरिंग झंडे के लेकर की गई, क्योंकि स्थानीय लोग मांग कर रहे थे कि दफ्तरों के बाहर अफगानिस्तान का राष्ट्रीय झंडा लगाया जाए। इसी मांग को लेकर लोग एकत्रित होने लगे, जिन्हें भगाने के लिए तालिबानी लड़ाकों ने हवा में गोलीबारी शुरू कर दी।
उधर, पाकिस्तान की सरकार ने तालीबान के खतरनाक आतंकवादी मुल्ला मोहम्मद रसूल को आजाद कर दिया है। पांच साल बाद की गई इस रिहाई के बाद पाकिस्तान की नीयत पर शक होने लगा है। रिहाई को इस एंगल से भी जोड़कर देखा जा रहा है कि गाहे-बगाहे पाकिस्तान तालिबान के साथ है।
इसी बीच आतंकवादी संगठन तालिबान ने बुधवार को कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि अफगानिस्तान सरकार के पूर्व अधिकारी सुरक्षित महसूस करें, वह उनके साथ शांतिपूर्ण बातचीत करेगा। तालिबान के एक प्रवक्ता ने बताया कि तालिबान को सत्ता पर काबिज होने का जश्न न मनाने का आदेश दिया गया है, क्योंकि यह जीत अफगानिस्तान की है।
प्रवक्ता ने कहा कि अफगानी नागरिकों को अपने हथियार और गोला-बारूद अधिकृत तालिबान सदस्यों को सौंपने होंगे। उसने संगठन की ओर से प्रतिबद्धता जताई कि तालिबान के किसी भी सदस्य के खिलाफ नागरिकों द्वारा दर्ज करायी गयी शिकायत की जांच की जाएगी।