कोटला- स्वयंम
हिमाचल प्रदेश में पंचायतों द्वारा विकास कार्यों को सुचारू रूप से गतिमान बनाए जाने के लिए तकनीकी सहायकों एवं पंचायत सचिवों के पदों को सृजित एवं भरे सरकार ।
पूर्व पंचायत समिति सदस्य एवं वर्तमान उपप्रधान पंचायत डोल भटहेड़ विकास खंड नगरोटा सुरियां साधू राम राणा द्वारा वर्तमान पंचायतों में विकास कार्यों की गति धीमी रहने के लिए पंचायतों में तकनीकी सहायकों एवं पंचायत सचिवों की कमी को मुख्य कारण मानते हुए प्रेस वार्ता में कहा|
उन्होंने कहा की जब पंचायतों में वर्ष 2000 में तकनीकी सहायकों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया था| तो एक तकनीकी सहायक की जिम्मेदारी तीन पंचायतों के विकास कार्यों के तकनीकी इस्टीमेट तैयार करना एवं विकास कार्यों की जांच परख करने हेतु सौंपी गई थी ।
जबकि उस समय पंचायतों में विकास कार्यों में मनरेगा जैसी योजना नहीं थी और पंचायतों में अन्य योजनाओं के माध्यम से भी सीमित वजट ही आबंटित किया जाता था। लेकिन 2005 के बाद मनरेगा योजना लागू होने एवं एवं मौजुद समय में वित्त आयोग के माध्यम से बजट में बढ़ोतरी और सांसदों एवं विधायकों की निजी निधि में बढ़ोतरी से पंचायतों में विकास कार्यों के एवज में बहुत ज्यादा धनराशि आने से तकनीकी सहायकों एवं पंचायत सचिवों पर काम का बोझ बढ़ गया।
लेकिन वर्तमान समय में देखा जाए तो जो हाल ही में नई पंचायतों का गठन किया गया| उनके एवज में सरकार द्वारा अभी तक तकनीकी सहायकों एवं पंचायत सचिवों के पदों को सृजित नहीं किया है| जिसके कारण कुछ तकनीकी सहायकों को तीन पंचायतों की जगह पर पांच पांच पंचायतों का जिम्मा सौंपा गया है और बहुत से पंचायत सचिव को भी दो दो पंचायतों का जिम्मा सौंपा गया है।
अतः इस कारण से यह दोनों पंचायतों के विकास कार्यों में मुख्य भूमिका निभाने वाले वर्ग काम के अधिक बोझ से दबे रहने से विकास कार्यों से संबंधित औपचारिकताएं पूरी करने में बहुत ही मुश्किल का सामना कर रहे हैं और इस कारण से पंचायत जनप्रतिनिधि भी विकास कार्यों एवं पंचायत संबंधी अन्य कार्यों को करवाने में मुश्किल का सामना कर रहे हैं।
अतः सरकार एवं पंचायती राज विभाग से मांग की जाती है कि पंचायतों में तकनीकी सहायकों एवं पंचायत सचिवों के रिक्त पदों पर पदों का सृजन एवं नियुक्ति का प्रावधान अभिलंब करने हेतु पग उठाए जाएं ताकि पंचायतों में विकास कार्यों को सुचारू रूप पटरी पर लाने संबंधी प्रगति हो सके।