नूरपुर, देवांश राजपूत
नूरपुर के फोरलेन 154 विस्तारीकरण राष्ट्रीय उच्च मार्ग के प्रथम चरण , कंडवाल से सिहूनी तक के प्रभावित होने जा रहे तमाम पीड़ितों के हितों की खातिर प्रशासन के खिलाफ हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय शिमला में 19,03,21 को एक 74 दस्तावेज की जनहित याचिका सेवा निवृत मेजर ओंकार सिंह गुलेरिया द्वारा दायर कर दी गई है।ये कहना है फोरलेन संघर्ष समिति के बरिष्ट उपाध्यक्ष सुदर्शन शर्मा का।
सुदर्शन शर्मा ने कहा कि जनहित याचिका का उद्देश्य मुख्य तीन मांगों पर केंद्रित है जिसमे भू-अधिग्रहण की जा रही भूमि का मूल्यांकन का निर्धारण भू-अधिग्रहण कानून 2013 के आधार पर किया जाए।उन्होंने कहा कि भू-अधिग्रहण की जा रही भूमि को एक ही कार्य के लिए एक ही भूमि का मूल्यांकन तीन बार किया जाना निराधार है।भू-अधिग्रहण अधिकारी ,एसडीएम नूरपुर द्वारा भू-अधिग्रहण प्रक्रिया पर जनहित में अतिशीघ्र रोक लगा दी जाए। ताकि तमाम 3781 परिवारों को उचित मुआवजा मिल सके।
सुदर्शन शर्मा ने कहा कि जनहित याचिका में सरकार,प्रशासन के 11 अधिकारियों को पार्टी बनाया गया है।जनहित याचिका में प्रभावितों के लिए भविष्य में आने बाली समस्याओं को मद्देनजर रखते हुए प्रशासन की कारगुजारी की खामियों को मुद्दा बनाया गया है, जिसमे प्रशासन ने भू-अधिग्रहण की जाने बाली एक ही भूमि का मूल्यांकन निर्धारण तीन बार करके असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।समिति के प्रयासों से सरकार कुछ गंभीर तो हुई है।
सुदर्शन ने कहा कि फोर लेन संघर्ष समिति कुछ दिनों में पदाधिकारियों से मिल कर आगामी रणनीति बनाएगी ताकि आम जनमानस को उचित मुआवजा मिल सके। यदि प्रशासन हमारी मुआवजा राशि के निर्धारण के ऊपर गौर नहीं करता है तो हम तमाम 3781 परिवार प्रशासन के विरोध में सड़कों पर उतरेंगे,धरना प्रदर्शन करेंगे और जरूरत पड़ी तो चक्का जाम भी करेंगे। 3781 परिवार प्रशासन की मुआवजा राशि के मूल्यांकन के निर्धारण पर तीन वर्षो से प्रयासरत है लेकिन अब अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है।