पठानिया ने विधानसभा शाहपुर क्षेत्र की जनता सहित प्रदेश बासियो को 26जनबरी गणतंत्र दिवस के अबसर पर तहदिल से शुभ कामनाएं दी।

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शाहपुर, नितिश पठानियां

26 जनवरी देश के राष्ट्रीय पर्व के अबसर पर प्रदेश कांग्रेस महासचिब केवल सिंह पठानिया ने कांग्रेस कार्यलय रैत्त में ब्लॉक् काँग्रेस कमेटी अध्यक्ष सुरजीत राणा,सोशल मीडिया प्रभारी विनय ठाकुर,मेहर चंद पूर्व वी०डी०सी०,दुर्गा दास, सुरेश मेहरा,विजय ठाकुर,गोनू ठाकुर,काला ठाकुर,नीरज ठाकुर,शिव कुमार,शुभम ,पंकु,अक्षित,सौरभ, अनिकेत ओर अन्य सम्मानीय काँग्रेस कार्यकर्ताओ के साथ 72वे गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराया।

पठानिया ने विधानसभा शाहपुर क्षेत्र की जनता सहित प्रदेश बासियो को 26जनबरी गणतंत्र दिवस के अबसर पर तहदिल से शुभ कामनाएं दी।पठानिया ने कहा कि देश का हर नागरिक चाहे वह किसी धर्म, जाति या संप्रदाय का हो इस पर्व को मनाता है।  इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ।भारत 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था और लेकिन 26 जनवरी 1950 को भारत एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित हुआ।

विविधताओं से समृद्ध हमारे देश में अनेक त्योहार मनाए जाते हैं, परंतु हमारे राष्ट्रीय त्योहारों को, सभी देशवासी, राष्ट्र-प्रेम की भावना के साथ मनाते हैं। गणतन्त्र दिवस का राष्ट्रीय पर्व भी, हम पूरे उत्साह के साथ मनाते हुए, अपने राष्ट्रीय ध्वज तथा संविधान के प्रति सम्मान व आस्था व्यक्त करते हैं। इसलिए, आज, हम सभी के लिए, संविधान के आधारभूत जीवन-मूल्यों पर गहराई से विचार करने का अवसर है। संविधान की उद्देशिका में रेखांकित न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के जीवन-मूल्य हम सबके लिए पुनीत आदर्श हैं।

यह उम्मीद की जाती है कि केवल शासन की ज़िम्मेदारी निभाने वाले लोग ही नहीं, बल्कि हम सभी सामान्य नागरिक भी इन आदर्शों का दृढ़ता व निष्ठापूर्वक पालन करें। इन्हीं आदर्शों ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को भी दिशा प्रदान की थी। बाल गंगाधर ‘तिलक’, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी और सुभाष चन्द्र बोस जैसे अनेक महान जन-नायकों और विचारकों ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया था। मातृभूमि के स्वर्णिम भविष्य की उनकी परिकल्पनाएं अलग-अलग थीं परंतु न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के मूल्यों ने उनके सपनों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया।

मैं सोचता हूं कि हम सबको, अतीत में और भी पीछे जाकर, यह जानने का प्रयास करना चाहिए कि यही मूल्य हमारे राष्ट्र-निर्माताओं के लिए आदर्श क्यों बने? इस का उत्तर स्पष्ट है कि अनादि-काल से, यह धरती और यहां की सभ्यता, इन जीवन-मूल्यों को संजोती रही है। न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता हमारे जीवन-दर्शन के शाश्वत सिद्धांत हैं। इनका अनवरत प्रवाह, हमारी सभ्यता के आरंभ से ही, हम सबके जीवन को समृद्ध करता रहा है। हर नई पीढ़ी का यह दायित्व है कि समय के अनुरूप, इन मूल्यों की सार्थकता स्थापित करे।

हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने यह दायित्व, अपने समय में, बखूबी निभाया था। उसी प्रकार, आज के संदर्भ में, हमें भी उन मूल्यों को सार्थक और उपयोगी बनाना है। इन्हीं सिद्धांतों से आलोकित पथ पर, हमारी विकास यात्रा को निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।

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