तो अप्रैल-मई में हो सकते हैं पंचायत चुनाव, निर्वाचन आयोग की इस बैठक में स्पष्ट होगी स्थिति

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पंचायत चुनाव: अप्रैल-मई में संभावना, आयोग की बैठक में स्थिति स्पष्ट, मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण अंतिम चरण

हिमखबर डेस्क

हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकाय चुनाव जनवरी के अंतिम सप्ताह यानी 27 जनवरी तक होना है लेकिन इस पर संशय की स्थिति है। दिसंबर के बाद शिमला के अलावा लाहुल स्पीति, किन्नौर, कुल्लू, चंबा के भरमौर व पांगी और कांगड़ा के बड़ा भंगाल में हिमपात से संपर्क सड़कें बंद हो जाती हैं। अगर मौसम बाधा बना तो जनवरी की अपेक्षा इस बार अप्रैल-मई में चुनाव करवाए जा सकते हैं। स्पीति में पहले ही पंचायत चुनाव अप्रैल-मई में करवाए जाते हैं।

निर्वाचन आयोग का चुनाव समय पर करवाने को पूरा जोर

राज्य निर्वाचन आयोग समय पर चुनाव करवाने के लिए पूरा जोर लगा रहा है। इस संबंध में आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। यह अलग बात है कि पंचायतों के पुनर्सीमांकन के प्रस्ताव विभाग ने पंचायतों से 15 नवंबर तक मांगे हैं। यदि सीमाओं में बदलाव होता है तो राज्य निर्वाचन आयोग की तैयार मतदाता सूची का अंतिम ड्राफ्ट रोल प्रभावित होगा।

सीएम ने ली बैठक, राज्य निर्वाचन आयुक्त लेंगे निर्णय

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गत दिनों पंचायत चुनाव के संबंध में जिला उपायुक्तों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के जरिये जानकारी ली। जल्द ही राज्य निर्वाचन आयुक्त सभी अधिकारियों और उपायुक्तों की बैठक कर उसके बाद चुनाव करवाने को लेकर निर्णय लेंगे। राज्य निर्वाचन आयोग ने निर्देश दिए थे कि पुनर्सीमांकन प्रक्रिया पूरी की जाए, जिससे मतदाता सूची को अंतिम रूप दिया जा सके।

अधिसूचना के बाद होना चाहिए 28 दिन का समय

चुनाव के लिए अधिसूचना जारी होने से लेकर मतदान और मतगणना तक कम से कम 28 दिन का समय चाहिए होता है। अभी तक प्रदेश में आरक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है।

दिसंबर में चुनाव करवाना मुश्किल

सूत्रों के अनुसार वर्तमान परिस्थितियों में दिसंबर में चुनाव करवाना मुश्किल है। इसका कारण यह है कि इतनी जल्दी सभी तैयारियां पूरी नहीं हो सकती हैं। 15 जनवरी के बाद प्रदेश में हिमपात होता है। सड़कें बंद होने से ऐसे में चुनाव करवाना चुनौती बन सकता है।

कोरोना काल में भी उठी थी अप्रैल-मई में चुनाव की मांग

जनवरी 2021 में कोरोनाकाल के दौरान भी पंचायत चुनाव अप्रैल-मई में करवाने की मांग उठी थी। तर्क दिया गया था इस तरह का बदलाव भविष्य के लिए लाभदायक होगा और हिमपात के दौरान चुनाव नहीं करवाने पड़ेंगे।

अनिल खाची, आयुक्त, राज्य निर्वाचन आयोग के बोल

पंचायतों और शहरी निकायों के चुनाव समय पर करवाना आवश्यक है। इसके लिए सारी प्रक्रिया चल रही है। पंचायतों की सीमाओं में किसी भी तरह का बदलाव होता है तो मतदाता सूची प्रभावित होगी। इस संबंध में विस्तृत निर्देश पहले ही दिए गए हैं। अधिकारियों से इस संबंध में बैठक होगी, जिसके बाद ही निर्णय लिया जाएगा।

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