शूलिनी माता मंदिर के गर्भगृह में मिली 62 प्राचीन प्रतिमाएं

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संदूक में मिली सौगात; मां के एक कलाणे ने ‘खेल’ के दौरान की थी भविष्यवाणी, विधिपूर्वक पूजा-अर्चना के बाद शीशे के भीतर रखीं मूर्तियां

सोलन – रजनीश ठाकुर

क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी शूलिनी माता मंदिर के गर्भ गृह में रखे एक संदूक में 62 प्राचीनतम मूर्तियां मिली हैं। इनमें से कुछ अष्टधातु की व कुछ मोहरे भी बताई जा रही हैं। माता के कलाणे (कल्याणे) व प्रशासन के समक्ष अब दुविधा उत्पन्न हो गई है कि इन मूर्तियों को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया जाए या इन्हें जल प्रवाह किया जाए। बहरहाल, इस पर कोई निर्णय लेने से पूर्व सोलन के आसपास के 22 गांवों के लोगों की राय ली जा रही है।

जानकारी के मुताबिक इन 62 बरामद मूर्तियों में शिरगुल देवता, देव माली, भगवती माता व अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं। शूलिनी माता मंदिर का इतिहास बघाट रियासत से जुड़ा है। बघाट के राजा पहले सोलन से करीब 12 किलोमीटर दूर जौणाजी में स्थित राजधानी में रहते थे।

रियासत से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अंग्रेजों के शासनकाल में जब कालका-शिमला रेलवे लाइन का सर्वे शुरू हुआ, तो इसकी भनक बघाट रियासत के राजा को ही लग गई। राजा बघाट ने तुरंत जौणाजी राजधानी को सोलन में स्थानांतरित कर दिया। जौणाजी में राज परिवार की कुल देवी ‘लगासन’ माता थी तथा उसी मंदिर से माता की मूर्ति को लाकर सोलन में स्थापित कर दिया गया।

सोलन क्षेत्र की अधिष्ठात्री होने के नाते फिर इस मंदिर की शूलिनी माता के मंदिर से पहचान बन गई। शूलिनी माता मंदिर में सैकड़ों वर्षों से संदूक व अन्य कुछ सामान रखा हुआ था। वर्ष 2005 में इस मंदिर को प्रशासन ने पूरी तरह अधिगृहित कर लिया। कुछ समय बाद मंदिर के पुराने गर्भ गृह व मंदिर के पुर्नउद्धार भी शुरू हुआ।

इसी बीच माता के एक कलाणे (कल्याणे) को खेल आई तथा खेल-खेल में उसने पुराने गर्भ गृह में रखे एक संदूक में देवी-देवताओं की मूर्तियों के रखे होने की भविष्यवाणी सच साबित हुई। अब ये कुल 62 मूर्तियां हैं तथा कुछ एक सैकड़ों वर्ष पुरानी भी हैं तथा इनमें से कई विशेष धातुओं से निर्मित बताई जा रही हैं तथा कई मूर्तियां खंडित भी हैं।

इन मूर्तियों को अब पुराने गर्भ गृह में एक चौंतरे पर शीशे के भीतर पूजा-अर्चना के बाद सजा दिया गया है तथा गेट पर ताला लगा दिया है। माता के कल्याणे कारगार संघ के अध्यक्ष शेर सिंह ने बताया कि कुल 62 मूर्तियां संदूक से प्राप्त हुई हैं तथा इनमें कुछ अष्टधातु की भी हैं। उन्होंने कहा कि अभी इन मूर्तियों को गर्भ गृह में रखा गया है तथा राष्ट्रीय संपत्ति है।

आगे खंडित मूर्तियों व इस पर क्या एक्शन लेना है, इसका निर्णय 22 गांवों के कल्याणे निर्णय लेंगे। इस संदर्भ में मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी व सोलन तहसीलदार मुल्तान सिंह ने कहा कि इन मूर्तियों को सुंदर स्थान देकर शीशे के भीतर रख दिया गया है। शीघ्र ही सप्ताह में एक दिन मूर्तियों को आम जनमानस के दर्शन के लिए भी खोला जाएगा।

‘खेल’ में जो हुकम, वही मान्य

माता के कल्याणे कारगार संघ के अध्यक्ष शेर सिंह ने बताया कि इन बरामद मूर्तियों के बारे में अब माता के गुर ‘खेल’ करके निर्णय लेंगे। अध्यक्ष शेर सिंह ने बताया कि खेल में जो भी हुकम होगा व मान्य होगा।

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