हिमखबर डेस्क
आपदा की मार के बाद बंद पड़े जिले के कुछ स्टोन क्रशरों को प्रदेश सरकार की ओर से चलाने के लिए हरी झंडी मिल गई है। अब लोगों रेत-बजरी की समस्या से दो-चार नहीं होना पड़ेगा। तीन माह की सख्ती के बाद सरकार ने अब विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर नरम रुख अपनाया है। हालांकि, करीब 60 क्रशर अभी बंद रहेंगे।
प्रदेश में इस साल आए जल प्रलय से जागी सुक्खू सरकार ने ब्यास बेसिन के किनारे संचालित प्रदेश के करीब 130 स्टोन क्रशरों को 23 अगस्त को बंद करवा दिया था। सरकार के इस फैसले की जद में कांगड़ा जिले के 85 क्रशर भी आए थे। सरकार के फरमान के बाद जिले के नूरपुर, फतेहपुर, ज्वाली और इंदौरा उपमंडल में संचालित 57 स्टोन क्रशरों के बिजली कनेक्शन काट दिए गए थे।
जयसिंहपुर, पालमपुर, देहरा, थुरल आदि उपमंडलों में 28 क्रशरों को बंद कराया गया था। इस मामले में सरकार ने अक्तूबर में मुख्य सचिव की अगुवाई में पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन विभाग के विशेषज्ञों की समिति का गठन कर रिपोर्ट तलब की थी। अब करीब तीन माह के इंतजार के बाद सरकार ने गहन अध्ययन और जांच के बाद प्रदेशभर में 47 स्टोन क्रशरों को चलाने की मंजूरी दे दी है।
खनन कार्यालय नूरपुर के तहत नूरपुर, इंदौरा, फतेहपुर व ज्वाली विधानसभा क्षेत्रों में लगभग 57 स्टोन क्रशर हैं। इनमें से केवल 14 स्टोन क्रशर नियमों पर खरे उतरे हैं, जिन्हें चलाने की अनुमति मिली है। करीब 42 स्टोन क्रशरों को अभी तक संचालित करने की अनुमति नहीं मिली है।
जिन 14 स्टोन क्रशरों को चलाने की अनुमति मिली है उनमें जवाली क्षेत्र में एक, नूरपुर क्षेत्र में सात और इंदौरा तहसील के छह स्टोन क्रशर हैं। खनन अधिकारी नूरपुर नीरजकांत ने बताया कि 14 स्टोन क्रशरों को चलाने की अनुमति प्रदान की गई है। संबंधित संचालकों को औपचारिकताएं पूरी करने के बाद क्रशर चलाने की परमिशन दी जा रही है।
वहीं, जिले के 28 अन्य स्टोन क्रशरों में से 11 को चलाने की मंजूरी दी गई है। उपमंडल देहरा में आठ स्टोन क्रशर चल रहे थे। इनमें सिर्फ तीन स्टोन क्रशरों को दोबारा चलाने की मंजूरी मिली है। उपमंडल देहरा के अमरोह में एक, ढलियारा में दो, परागपुर में दो, कलोहा, चामुक्खा और सलेटी में एक-एक स्टोन क्रशर बंद किए गए थे।
अब दोबारा आठ स्टोन क्रशरों में सिर्फ तीन को ही हरी झंडी दिखाई गई है। खनन निरीक्षक अश्वनी कुमार के अनुसार ढलियारा, सलेटी और चामुक्खा के एक-एक क्रशर को चलाने की मंजूरी मिल गई है।
मंजूरी मिलने के बाद संबंधित स्टोन क्रशर संचालक विभाग के साथ मिलकर सभी औपचारिकताएं पूरी करने और व्यवस्थाएं बनाने की तैयारियों में जुट गए हैं। इस कार्य में दो से चार दिन का समय लग सकता है। माना जा रहा है कि अब कुछ दिनों बाद ही जिले के 25 स्टोन क्रशरों में भवन निर्माण सामग्री का उत्पादन शुरू हो जाएगा।
रोजी-रोटी के अवसर फिर होंगे सृजित
करीब तीन माह से बंद पड़े स्टोन क्रशरों के कारण हजारों लोगों की रोजी-रोटी पर भी असर पड़ा था। साथ ही भवन निर्माण सामग्री के दाम आसमान छूने से लोगों पर आर्थिक मार भी पड़ रही थी। अब दोबारा स्टोन क्रशरों को शुरू करने की अनुमति मिलने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है।
खासकर मजदूर, ट्रैक्टर-टिपर संचालक, चालक व सहायक, पेट्रोल पंप, होटल-ढाबों, मेकेनिक, वर्कशॉप आदि से जुड़े लोगों समेत आम जनता के लिए भी यह फैसला राहतभरा है।
राजीव कालिया जिला खनन अधिकारी, कांगड़ा के बोल
कांगड़ा जिले में धर्मशाला, देहरा और नूरपुर क्षेत्रों के 25 स्टोन क्रशरों को दोबारा शुरू करने की मंजूरी सरकार ने दे दी है। सरकार के निर्देश पर सभी मानकों और औपचारिकताओं को पूरा कराया जा रहा है। जल्द ही इन क्रशरों में उत्पादन शुरू हो जाएगा।