व्यूरो रिपोर्ट
हर स्त्री के लिए मां बनना सौभाग्य होता है। लेकिन कुछ परिस्थितियों के कारण कई महिलाओं को ये सौभाग्य प्राप्त नहीं हो पाता। लेकिन हिमाचल प्रदेश के सिमसा में स्थित एक मंदिर है जहां माता सिमसा महिलाओं को गर्भवती होने का आशीर्वाद देती हैं।
कहा जाता है की इस मंदिर में संतानहीन लोगों को संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मां सिमसा का यह मंदिर हिमाचल प्रदेश की दुर्गम पहाड़ियों के बीच सिमस गांव में स्थित है।
मान्यताओं के अनुसार बताया जाता है की इस मंदिर के फर्श पर जो महिलाएं सोती हैं वे गर्भवती हो जाती है। देवी सिमसा खुद अपने भक्तों के सपनों में आकर संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देतीं हैं।
हिमाचल स्थित यह चमत्कारी मंदिर संतानदात्री के नाम से प्रसिद्ध है। लोगों की आस्था का केंद्र इस मंदिर में लोग अपनी मुरादें लेकर आते हैं। हर वर्ष यहाँ सैंकड़ो नि:सन्तान दंपति संतान पाने की इच्छा लेकर माता सिमसा के दरबार में आते हैं।
माता सिमसा मंदिर में नवरात्रों में होने वाले इस विशेष उत्सव को स्थानीय भाषा में “सलिन्दरा” कहा जाता है। सलिन्दरा का अर्थ है स्वप्न अथवा ड्रीम। इस समय नि:संतान महिलाएं दिन रात मंदिर के फर्श पर सोती हैं। कहते हैं कि ऐसा करने से वो जल्द से जल्द गर्भवती हो जाती हैं। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि माता सिमसा सपने में महिला को फल देती हैं तो उस महिला को संतान का आशीर्वाद मिल जाता है।
स्वप्न में देती हैं लड़का या लड़की का संकेत
मान्यता के अनुसार, यदि कोई महिला स्वप्न में कोई कंद-मूल या फल प्राप्त करती है तो उस महिला को संतान का आशीर्वाद मिल जाता है। देवी सिमसा आने वाली संतान के लिंग-निर्धारण का भी संकेत देती है। जैसे कि, यदि किसी महिला को अमरुद का फल मिलता है तो समझ लें कि लड़का होगा। अगर किसी को स्वप्न में भिन्डी प्राप्त होती है तो समझें कि संतान के रूप में लड़की प्राप्त होगी. यदि किसी को धातु, लकड़ी या पत्थर की बनी कोई वस्तु प्राप्त हो तो समझा जाता है कि उसके संतान नहीं होगी।
इस मंदिर पर आने वाले हर श्रद्धालु का अटूट विश्वास है। यह संयोग है या माता का कोई चमत्कार यह तो कोई नहीं जानता लेकिन इतना जरुर है की यहां आने वाले की मुराद जरुर पूरी होती है। माता सिमसा मंदिर में सालभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। खासतौर पर नवरात्रों में यहां भीड़ अधिक रहती है तथा उत्सव का माहौल होता है गर्मियों के मौसम में यहां 2 दिवसीय मेला लगता है जिसमें दूर-दूर से लोग मां के दरबार में हाजरी भरने आते हैं।