शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश कैबिनेट की प्रस्तावित बैठक जो आज होने वाली थी, अब 15 फरवरी को आयोजित की जाएगी। आधिकारिक जानकारी अनुसार मुख्यमंत्री के निजी कार्यक्रम और दो मंत्रियों के विदेश दौरे के चलते यह बैठक टालनी पड़ी है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री के वायरल संक्रमण से उबरने को भी स्थगन का कारण बताया गया है। इस बैठक में बजट सत्र की तैयारियों और कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।
बजट सत्र की तैयारियों पर केंद्रित होगी बैठक
आगामी विधानसभा बजट सत्र की तैयारियों के मद्देनजर यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। जानकारी अनुसार बैठक में बजट सत्र की तारीखों पर मुहर लगाने के साथ राज्यपाल के अभिभाषण के मसौदे पर विचार-विमर्श किया जाएगा, जिसे बजट सत्र के दौरान प्रस्तुत किया जाएगा। उम्मीद है कि बजट सत्र मार्च के पहले सप्ताह से शुरू होकर अप्रैल के शुरू तक चलेगा। ऐसे में बैठक में बजट से संबंधित योजनाओं और प्रस्तावों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
यूनीफाइड पेंशन स्कीम पर हो सकती है गहन चर्चा
बैठक में केंद्र सरकार द्वारा मंजूर की गई यूनीफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) पर भी महत्वपूर्ण चर्चा की उम्मीद है। हाल ही में कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने संकेत दिए थे कि यूपीएस को कैबिनेट में लाया जाएगा। अगर राज्य सरकार इस स्कीम को लागू करती है, तो हिमाचल प्रदेश को लगभग 1600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त ग्रांट मिल सकती है। इसके साथ ही केंद्र सरकार के पास एनपीएस के तहत फंसे करीब 9 हज़ार करोड़ रुपये प्राप्त करने के रास्ते भी खुल सकते हैं।
नशे के खिलाफ सख्त कार्रवाई पर मंथन
प्रदेश में बढ़ते नशे के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए भी इस कैबिनेट बैठक में कड़े फैसले लिए जा सकते हैं। चिट्टा तस्करी और युवाओं में बढ़ती नशे की लत को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की योजना पर चर्चा होगी। सरकार इस दिशा में सख्त कानून और प्रभावी अमल पर जोर दे सकती है।
शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की तैयारी
शिक्षा विभाग में बड़े बदलावों पर भी इस बैठक में चर्चा की संभावना है। राज्य सरकार स्कूल और कॉलेज स्तर पर अलग-अलग निदेशालय गठित करने पर विचार कर रही है। फिलहाल प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय के तहत पहली से आठवीं कक्षा और उच्च शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत नौवीं से बारहवीं और कॉलेज आते हैं। नए प्रस्ताव के तहत स्कूल स्तर पर एक और कॉलेज स्तर पर दूसरा निदेशालय बनाने की योजना है जिससे शिक्षा व्यवस्था को और अधिक प्रभावी एवं सुव्यवस्थित बनाया जा सके।