हिमाचल प्रदेश के शिमला में कांस्टेबल नीरा देवी ने बीते कुछ वर्षों में तकरीबन 600 से ज्यादा यौन उत्पीड़न के मामलों में पीड़ितों की राज्य पुलिस कार्यक्रम के तहत मदद की है ताकि मामलों के अदालत में जाने पर उनकी मदद की जा सके।
शिमला – नितिश पठानियां
हिमाचल प्रदेश के शिमला में कांस्टेबल नीरा देवी ने बीते कुछ वर्षों में तकरीबन 600 से ज्यादा यौन उत्पीड़न के मामलों में पीड़ितों की राज्य पुलिस कार्यक्रम के तहत मदद की है ताकि मामलों के अदालत में जाने पर उनकी मदद की जा सके।
बता दें कि छोटी बच्चियों को इन परिस्थितियों से बाहर आने में तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है, खासकर जब उन्हें अदालत में आरोपितों को देखना होता है।
ये आरोपित ज्यादातर या तो परिवार के करीबी सदस्य होते हैं या परिचित होते हैं। उन्होंने कहा कि हम सुनिश्चित करते हैं कि आरोपित पीड़ित से दूर रहे। आरोपितों के चेहरे नाबालिगों को नहीं दिखाए जाएं।
पीड़ितों के लिए सहानुभूति बेहद महत्वपूर्ण है
नीरा देवी ने कहा कि सहानुभूति बहुत महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, हम इन बच्चों में आत्मविश्वास जगाते हैं। उन्होंने कहा कि नाबालिग लड़कियों के मामलों में सांकेतिक भाषा का उपयोग किया जाता है क्योंकि वे घटना और समस्या को शब्दों के माध्यम से नहीं बता सकती हैं।
पिता करते हैं दुष्कर्म
नीरा देवी बताती हैं कि उनका काम आसान नहीं है। मंडी जिले के सरकाघाट क्षेत्र की एक घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि एक विशेष मामला दूसरे मामले की तुलना में ज्यादा कठिन था क्योंकि उसमें पीड़िता और उसकी मां मानसिक रूप से विक्षिप्त थीं और आरोपित नाबालिग का पिता था। हेड कांस्टेबल ने बताया कि इस बच्चे ने जिस आघात का सामना किया उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है।