चम्बा – भूषण गुरुंग
चम्बा एक प्राचीन और ऐतिहासिक नगरी है और इसमें बारह महीनों में कोई न कोई त्योहार होते ही रहते है। आज हम अपने दर्शकों को एक ऐसे ही त्योहार के बारे बताने जा रहे है,जोकि दशमी शताब्दी से राजा साहिल वर्मन की रियासत काल से बड़ी ही शिद्दत के साथ मनाया जाता था और आज भी रथ रथनी के इस त्योहार को लोग बड़ी ही खुशी के साथ मनाते चले आ रहे है।
बताते चले कि जब चंबा के राजा साहिल वर्मन ने चंबा की इस रियासत को बसाया था तब यहां हर जगह राक्षसों का बोलबाला हुआ करता था जोकि यहां की भोली भाली जनता को बहुत सताया करते थे। इनसे छुटकारा कैसे मिले इसके लिए चंबा के राजा को किसी देवता के चेले ने रथ रथनी के मेले को शुरू करने की बात बताई और कहा कि इसको करने के बाद ही शहर में शांति होगी।
तब भगवान विष्णु के रूप में महिला बनी जोकि रथ बनी और राक्षस के रूप में रथ बने जिनका आपस में युद्ध हुआ और विजय स्वरूप रथनी को जीत मिली। आज भी इस रथ रथनी के इस त्योहार को लोग बड़ी ही धूमधाम से मनाते है और इसमें आज भी देव रूपी चले इस पालकी के उठने से पहले नाचते हुए सभी लोगों को सुख शांति का आशीर्वाद भी देते है।
इतना ही नहीं जब यह रथ रथनी पालकी में सवार होकर इक दूसरे के सम्मुख आते है तो दोनो तरफ के लोग एक दूसरे पर कच्चे अंडे, मक्की के खाली टोटू, के इलावा और भी कई कुछ लोगों पर फेंके जाते है। इसी के साथ यह त्योहार समाप्त हो जाता है।