हिमखबर संवाददाता, अंशुल दीक्षित
भारत एक प्राचीन राष्ट्र है जिसका आधार साँस्कृतिक एवं आध्यात्मिक है। पाश्चात्य विचारकों की यह धारणा गलत है कि भारत एक राष्ट्र नहीं अपितु अनेक राष्ट्रीयताओं का देश है या अँग्रेजी राज के आने के पाश्चात्य भारत एक राष्ट्र बना। भारत को समझने के लिए भारतीय दृष्टिकोण चाहिए। यह शब्द बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आचार्य प्रो कोशल किशोर मिश्रा ने राजनीति विज्ञान विभाग हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में कहे।
यह सेमिनार प्राचीन भारतीय राजनीतिक संस्थाएँ एवं मूल्य: आधुनिक समय में उनकी प्रासंगिकता विषय पर आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम संयोजक डॉ जगमीत बावा ने बताया कि इस राष्ट्रीय सेमिनार को आयोजित करने का उदेश्य शोध की भारतीय दृष्टि का विकास करना एवं प्राचीन भारतीय राजनीतिक व्यवस्था एवं मूल्यों को समझना है। पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय बठिंडा के कुलपति प्रो जगवीर सिंह से बतौर मुख्य वक्ता कार्यक्रम में शिरकत की। उन्होंने सिख गुरुओं की राजनीतिक बुद्धिमता: वैदिक काल से निरंतरता विषय पर अपने विचार रखे।
विशिष्ट अतिथि प्रो पवन कुमार शर्मा ने प्राचीन भारत में संविधान के तत्व विषय पर अपना व्याख्यान दिया। दो दिवसीय इस राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन कुल आठ सत्रों में किया गया। सेमिनार के दूसरे दिन पहले सत्र में प्रो तरुण अरोड़ा, केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब ने प्राचीन भारतीय न्यायिक व्यवस्था, दूसरे सत्र में डॉ मृदुला शारदा, सहायक आचार्य, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला ने प्राचीन भारतीय लोकतंत्र, एवं तीसरे सत्र में प्रो एवन कुमार, प्रिसिंपल अमृतसर लॉ कॉलेज ने आधुनिक परिपेक्ष्य में राजधर्म की प्रासंगिकता विषय पर अपने- अपने व्याख्यान दिए।
प्रो तरुण अरोड़ा ने बताया कि प्राचीन भारतीय न्याय व्यवस्था धर्म आधारित थी उन्होंने वेद, पुराण, स्मृतियाँ, धर्मसूत्र, उपनिषद, इत्यादि को भारतीय न्याय व्यवस्था के प्रमुख स्त्रोत बताया। डॉ मृदुला शारदा ने बताया कि लोकतंत्र की अवधारणा पश्चिमी नहीं अपितु भारतीय है। सेमिनार के समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो तरुण अरोड़ा ने की जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ मृदुला शारदा एवं प्रो एवन कुमार मंच पर उपस्थित रहे।
समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो हर्षवर्धन शर्मा, निदेशक हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सप्त सिंधु परिसर देहरा ने की। सहायक आचार्य डॉ अरुंधति शर्मा ने उपस्थित विद्वानों के समक्ष दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शोध विवरण प्रस्तुत किया। प्रो नारायण राव, विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय ने कार्यक्रम के सफल आयोजन पर उपस्थित सभी विद्वानों एवं शोधार्थियों का धन्यवाद किया।
सेमीनार में विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों से लगभग 40 शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र पढ़े। समापन कार्यक्रम में डॉ ज्योति, डॉ विमल कुमार कश्यप, डॉ अरुंधति शर्मा, आराधना सिंह, डॉ नरेश कुमार सहित केंद्रीय विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शोधार्थी और छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे।