नूरपुर, देवांश राजपूत
उपमंडल नूरपुर के तहत किसानों की खून पसीने की मेहनत से तैयार की गई और लगातार सूखे की मार सहती गेहूं की फसल पर अब बादल आफत बनकर बरस रहे हैं। आलम यह है कि शुक्रवार देर शाम को भी क्षेत्र में बारिश की बूदें किसानों की मेहनत पर जमकर बरसी और शनिवार सुबह भी झमाझम बारिश का दौर जारी है।
कोविड-19 के मुश्किल भरे दौर में किसानों ने इस उम्मीद में फसल की बिजाई की थी कि अच्छी फसल होने से चार पैसे की आमद होगी तो घर में सालभर का अनाज आएगा। लेकिन यहां भी किसानों की उम्मीदें धराशायी हो गई हैं।
हालात यह हैं कि असिंचित क्षेत्रों में जब गेहूं की फसल को बारिश की भारी जरूरत थी और किसान लगातार आसमान को निहार रहे थे तब आसमान भी लगातार उनसे रूठा रहा और अब जब फसल पककर तैयार है और किसानों ने कटाई भी शुरू कर दी है तो किसानों की उम्मीदों पर आसमान से लगातार संकट बादल बरस रहे हैं ।
आलम यह है कि उपमंडल नूरपुर के अधिकतर असिंचित क्षेत्रों में सूखे की मार झेलती हुई गेहूं की फसल इस बार करीब 15 दिन पहले ही पककर तैयार हो गई है, जिसे किसानों ने भी जोरशोर से समेटना शुरू कर दिया था। लेकिन एकाएक मौसम के बिगड़ने से किसानों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं।
खेतों में भीग चुकी फसल को यहां अब सुखाने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा झोंकनी पड़ेगी तो खड़ी फसल को काटने के दौरान नम जमीन से मिट्टी आएगी, जिससे पशुचारे के तौर पर तूड़ी पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा। कुलमिलाकर बिगड़े मौसम ने किसानों के सारे समीकरण बिगाड़ दिए हैं।
भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष सुरेश पठानिया का कहना है इस बार मौसम की बेरुखी के कारण गेहूं की फसल सूखे की भेंट चढ़ चुकी है। फसल से किसानों की लागत भी पूरी नहीं होगी। रही सही कसर अब आसमानी बादलों ने पूरी कर दी है। प्रदेश सरकार क्षेत्र को सूखाग्रस्त घोषित कर किसानों को आर्थिक राहत प्रदान करे।