ब्रह्मगंगा नाले में बादल फटने से मां बेटे व एक कैंपिंग साइट की मैनेजर समेत बहे चार लोगों की तलाश करना प्रशासन के लिए पहाड़ जैसी चुनौती है। पार्वती व ब्यास नदी के वेग एवं जलस्तर में सर्च अभियान चलाना मौत को दावत देने के समान है।
कुल्लू, आदित्य
जिला कुल्लू के ब्रह्मगंगा नाले में बादल फटने से मां बेटे व एक कैंपिंग साइट की मैनेजर समेत बहे चार लोगों की तलाश करना प्रशासन के लिए पहाड़ जैसी चुनौती है। पार्वती व ब्यास नदी के वेग एवं जलस्तर में सर्च अभियान चलाना मौत को दावत देने के समान है।
कैचमेंट क्षेत्र में इन दिनों बारिश से ब्यास नदी पूरे उफान पर है। ब्यास नदी में पानी की आवक 30 से 55 हजार क्यूसिक के बीच बनी हुई है। पार्वती व ब्यास नदी में बड़ी संख्या में चट्टानें व गाद हैं। गाद व चट्टानों में शव कई कई दिनों तक फंसे रहते हैं।
पहले हुए हादसों पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो लापता लोगों के शव 15 से 20 दिन बाद ही मिले हैं। ब्रह्मगंगा नाला घटनास्थल से महज 100 मीटर की दूरी पर पार्वती नदी में मिलता है। पार्वती नदी का यहां से करीब 30 किलोमीटर दूर भुंतर के समीप हाथीथान में संगम होता है। बहे लोग अगर इस संगम तक पहुंच गए होंगे तो फिर उनके जल्द मिलने की संभावना और कम हो जाती है। हाथीथान से चलकर ब्यास नदी करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर लारजी में तीर्थन से मिलती है।
यहां पर राज्य बिजली बोर्ड के 126 मेगावाट के पनविद्युत प्रोजेक्ट का लारजी बांध है। बांध में बड़ी मात्रा में गाद भरी पड़ी है। दूसरा ब्यास का जलस्तर बढ़न पर इन दिनों लारजी बांध के गेट पांच से छह मीटर तक खोल रखे हैं। ऐसे में शव यहां से आगे निकल सकते हैं। लारजी से करीब 17 किलोमीटर की दूरी पर बीबीएमबी का पंडोह बांध हैं।
इन दिनों बांध के गेट भी खुले हैं। करीब 20 ये 25 हजार क्यूसेक पानी पंडोह बांध से लगातार छोड़ा जा रहा है। कई बार बहे हुए लोगों के शव कांढापतन के पास मिले हैं। शव उगलना ब्यास पर निर्भर है। ब्यास के आगे कोई तकनीक भी काम नहीं आती है।
सात साल पहले लारजी बांध से छोड़ गए पानी में हैदराबाद के एक इंजीनियरिंग कालेज के 24 छात्र बह गए थे। लारजी से पंडोह तक लापता छात्रों की तलाश में आधुनिक से आधुनिक तकनीक का सहारा लिया गया था,लेकिन एक भी शव बरामद नहीं हो पाया था। नौसेना को खाली हाथ लौटना पड़ा था। ब्यास नदी का पानी पूरी तरह रोकने के बाद भी एक शव नहीं मिल पाया था। करीब 20 दिन बाद पंडोह बांध में ब्यास ने एक एक कर सभी शव उगले थे।