नूरपुर, देवांश राजपूत
आजादी के 74 बर्ष बीत जाने बाबजूद भी दलितों को पर्याप्त पानी पीने को नसीब नहीं हो रहा है।आलम यह कि दलित बस्ती के तीस घरों की डेढ़ सौ आबादी के कुछेक घरों को ही तीसरे दिन बाल्टी भर पानी सिर्फ कंठ को तरर करने के लिए ही छोड़ा जा रहा है।
गांब की बाबड़ी पेड़ गिरने की बजह से तहस,नहस हो चुकी जिसकी मुरम्मत किए जाने के लिए फ़िलहाल बजट की दरकार है।हैंडपंप में पानी मटमैला आने की बजह से उससे प्यास बुझाना अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ किए जाने बराबर है। प्रदेश की मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर सरकार बिकास के दावे बेशक करके मिशन रिपीट किए जाने के सपने देख रही,अगर गरीब लोगों को मूलभूत सुविधाओं की ही दरकार रही तो मिशन डिलीट होने से कोई नहीं बचा सकता है।
अगर समय रहते भाजपा सरकार नहीं संभली तो आगामी विधानसभा चुनावों में इसका खामियाजा भुगतने के लिए अभी से तैयार रहना चाहिए।प्राकृतिक धरोहरों की मान्यता बरकरार रखने के लिए सरकारें करोड़ों रुपये खर्च कर रही,मग़र वास्तव में स्थिति बिल्कुल विपरीत नजर आती है।लापरवाह सरकारी मशीनरी लगातार सरकार के खिलाफ मुद्दे बनाए जाने में मशगूल है।
नूरपुर उपमंडल तहत पड़ती पंचायत पुनदर जोटा 24 मील गांव के करीब तीस घरों को पिछले कई सालों से पर्याप्त पानी पीने को नहीं मिल रहा है।जल शक्ति बिभाग के अधिकारियों के सिर पर भाजपा नेताओं का हाथ इसलिए वह जनता को कीड़े,मकौड़े समझकर कुछ इस तरह परेशान कर रहे हैं।जल जीबन मिशन के तहत करोडों रुपये खर्च करके नए नल लगाए जा रहे चाहे उनमें पानी की एक भी बूंद न आए।
मग़र इस गांव में कहने को बड़ी पानी की पाईप बिछा रखी,लेकिन लोगों के घरों में पानी की एक बाल्टी तक नहीं आता है।जल जीबन मिशन की भी कोई सुविधा लोगों को मिली नजर नहीं आती है।प्राकृतिक धरोहरों पर करोड़ों रुपये खर्च करके इन्हें बचाने के प्रयास किए जा रहे,लेकिन इस बस्ती की बाबड़ी की रिपेयर करबाने के लिए सरकार के पास बजट का अभाव है।सरकारी मशीनरी इस कदर राजनीतिक सरंक्षण के चलते लापरवाह हो चुकी की वह किसी की बात सुनना तक पसंद नहीं करती है।
इस गांव की पानी समस्या को लेकर मामला सीएम हेल्पलाइन तक पहुंच चुका,मग़र जिनके सिर पर नेताओं का हाथ हो उनका कोई क्या बिगाड़ सकता है?।ऐसा भी नहीं जनता अगर चाहे तो सब कुछ हो सकता है।इस गांव की महिलाओं ने बिभाग के अधिकारियों को सबक सिखाने की योजना बनाई है।
जल शक्ति बिभाग ने स्थानीय लोगों को इस गांव को जाने बाली पानी पाइप लाइन में लगा रखा जो पानी भी पक्षपाती नीति से छोड़ते हैं।इस गांव की करीब दर्जन भर महिलाओं ने दो बर्ष पूर्व जल शक्ति बिभाग के एक्शन और एसडीओ को इस बाबत एक मांग पत्र सौंपा था।दो बर्ष बीत जाने के बाबजूद भी इस गांव के लोगों की समस्या का समाधान नहीं निकला है।
जब भी कोई पानी समस्या को लेकर शिकायत करता तो गांव के लोगों को सप्ताह भर ही बड़ी मुश्किल से पानी मिल पाता है।इस गांव के लोगों की पानी समस्या को लेकर मैं स्वयं भी बनमंत्री राकेश पठानियाँ से दो बर्ष पूर्व मिल चुका हूं,मग़र इसके बावजूद भी अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है।गांव की महिलाओं ने आज भी सीएम हेल्पलाइन पर इस बाबत शिकायत दर्ज करवाकर पंचायत से प्राचीन बाबड़ी की मरम्मत किए जाने की गुहार लगाई है।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर सरकार से मांग की जाती की जल शक्ति बिभाग नूरपुर के अधिकारियों ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही करके गांव के लोगों को पानी की समस्या से निजात दिलाई जाए।पानी की समस्या केबलमात्र इसी गांव में ही नहीं अन्य गांवों की सुर्खियां भी आजकल पड़ने को मिल रही हैं।
उधर जल शक्ति बिभाग के सहाय क कनिष्ठ अभियंता पिछले दो बर्षों से यही कह रहे कि इस गांव के लिए पानी के टैंक बनाए जा रहे,मग़र वह बनकर कब जनता की पानी समस्याओं का अंत करेंगे कोई नहीं जानता है।सहायक अभियंता बैसे तो फोन उठाना भी भारी समझते अगर गलती से उठा लें तो उनका यही जबाब रहता कि उनके पास कोई शिकायत नहीं आई है।
हैरानी इस बात की मीडिया की नजर भी इस गांव की जनता की पानी समस्याओं पर कभी नहीं पड़ती है?।गांव की महिलाओं ने पानी समस्या को लेकर पंचायत प्रधान से बाबड़ी की मरम्मत करके उन्हें पानी की समस्याओं से निजात दिलाए जाने की गुहार लगाई है।पंचायतें गांवों में किस तरह बिकास के आयाम स्थापित कर रही इस बाबड़ी की दयनीय हालत को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है?।