मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कैबिनेट की बैठक में प्रेजेंटेशन के बाद अफसरों को दिया है काम
हिमखबर डेस्क
हिमाचल में टेनेंसी एंड लैंड रिफाम्र्स एक्ट 1972 की धारा-118 की बंदिशें राज्य सरकार आसान करने जा रही है। एक बार मंत्रिमंडल के सामने राजस्व विभाग प्रेजेंटेशन दे चुका है और अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अधिकारियों की टीम को इस पर लगाया है।
भारत सरकार पहले ही ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत इस तरह के कानूनों को सरल करने को कह रही है। इसके बाद राज्य सरकार को सहकारी बैंकों और नाबार्ड ने भी फीडबैक दिया है कि एग्रीकल्चर और हॉर्टिकल्चर सेक्टर में वे इसलिए लोन की फंडिंग नहीं कर पा रहे, क्योंकि धारा-118 के कारण दिक्कतें आ रही हैं।
वर्तमान में यदि हिमाचल के ही युवक मिलकर कोई सोसायटी या कंपनी बनाकर कारोबार करना चाहें, तो उन्हें भी 118 की अनुमति के दायरे में आना पड़ता है। इस कानून के अनुसार सोसायटी, कंपनी या एग्रीमेंट एक अलग एंटीटी है, इसलिए इन्हें भी धारा-118 के तहत अनुमति जरूरी है।
भारत सरकार का सहकारिता मंत्रालय फार्मर प्रोड्यूस ऑर्गेनाइजेशंस का गठन कर रहा है। हिमाचल में भी इस तरह के एफपीओ बने हैं, लेकिन क्रेडिट पर कारोबार नहीं कर पा रहे। बंदिश धारा-118 ही बन रही है। इन्हीं दिक्कतों को समझने के लिए कैबिनेट ने राजस्व विभाग से प्रेजेंटेशन मांगी थी।
अब अधिकारियों की टीम को एक काम दिया गया है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत इस धारा को कारोबार और हिमाचलियों के हित में बनाया जाए। इस धारा के तहत जमीन खरीदने के लिए गैर कृषकों यानी गैर हिमाचलियों को सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। इस अनुमति के बाद तय अवधि के भीतर इस जमीन का इस्तेमाल करना पड़ता है। यदि यह इस्तेमाल न किया जाए, तो जमीन वापस सरकार को चली जाती है।
अब इस इन्वेस्टमेंट की प्रक्रिया के बजाय राज्य सरकार पेनल्टी लगाकर इस समय को बढ़ाना चाहती है। यह अधिकार जिलों में डीसी को दिया जा सकता है। कई मामलों में जमीन खरीदने के लिए अनुमति अलग से चाहिए होती है और उस पर बने फ्लैट के लिए अलग। इस तरह दो बार अनुमति की प्रक्रिया को भी खत्म करने का प्रस्ताव है।
इससे पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट सत्र के दौरान 13 मार्च, 2025 को भी कहा था कि जहां कारोबार के लिए यह धारा दिक्कतें पेश कर रही है, उन बिंदुओं को सरल किया जाएगा। इसके बाद नाबार्ड और सहकारी बैंकों की ओर से फीडबैक अलग से आया है।
इससे पहले राज्य सरकार संशोधन के जरिए धारा-118 के तहत खरीदी गई जमीन या लीज पर ली गई भूमि के मामले में स्टांप ड्यूटी दोगुना कर चुकी है। इसे छह फ़ीसदी की दर से बढ़ाकर अब 12 फीसदी कर दिया गया है। सरकार ने पिछले विधानसभा सत्र में इस बारे में एक विधेयक लाया था। इस कानून को 18 फरवरी, 2025 से लागू किया गया है।
बाहरियों को जमीन बेचने से रोकती है धारा-118
हिमाचल प्रदेश में टेनेंसी एंड लैंड रिफॉम्र्स एक्ट 1972 को संविधान के 9वें अनुच्छेद की सुरक्षा प्राप्त है। इसमें हिमाचल की जमीन को गैर कृषक यानी गैर हिमाचली को बेचने के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेने का प्रावधान धारा-118 में है।
यह धारा नॉन हिमाचली को जमीन सेल, डीड, गिफ्ट, लीज या ट्रांसफर इत्यादि से देने पर प्रतिबंध लगाती है। कुछ शर्तों के साथ ही इस तरह जमीन दी जा सकती है। इस धारा के अनुसार कोई भी कंपनी, समिति या एग्रीमेंट आधारित व्यवसाय को भी अलग नॉन कृषक व्यक्ति माना जाता है। हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री वाईएस परमार ने इस कानून को हिमाचल की कम कृषि योग्य जमीन को बचाने के लिए बनाया था।