दोणाचार्य शिक्षा स्नातकोत्तर महाविद्यालय रैत में मनाईं विवेकानद जयंती।
शाहपुर – नितिश पठानियां
दोणाचार्य शिक्षा स्नातकोत्तर महाविद्यालय रैत में विवेकानंद सदन और एससीए के सौजन्य से विवेकानद जयंती मनाई गई। कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ प्रवीण कुमार शर्मा ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। कार्यक्रम की शुरुआत विवेकानंद जी की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलन कर की गई है।
मुख्यातिथि ने कहा कि विवेकानन्द जयंती युवा दिवस के रूप में भी मनाई जाती है उन्होंने छात्र -छात्राओं को विवेकानन्द के जीवन , उनके उच्चतम विचारों , युवाओं की उन्नति किए गए कायों से लिए उनके योगदान से अवगत करवाया। तथा विद्यार्थियों को उनके मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
वहीं उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए विवेकानंद अनुशासित रहने की सीख देते हैं। मेहनत के साथ-साथ अगर व्यक्ति अनुशासित भी रहता है तो आसानी से अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।
अनुशासन चिंता, बेवजह के वाद-विवाद से भी हमको दूर रखता है। इसलिए स्वामी विवेकानंद अनुशासित रहने की सीख हर किसी को दिया करते थे।
स्वामी विवेकानंद अज्ञान को डर का कारण मानते थे। उनका कहना था कि, अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निडर होकर आगे बढ़ना चाहिए। निरंतर ज्ञान प्राप्त करके और सही संगति में रहने से व्यक्ति हर प्रकार के डर से मुक्ति पा सकता है।
उन्होंने कहा कि विवेकानंद का कहना था कि, करुणा और दया ही आपको आध्यात्मिक उन्नति दिलाते हैं। उनका मानना था कि हमें हर जीव हर मनुष्य के प्रति करुणापूर्ण रहना चाहिए। दया, सहानुभूति और करुणा समाज में शांति और विकास लाती है।
स्वामी विवेकानंद का मानना था कि हर व्यक्ति दिव्यता से भरा हुआ है। बस खुद को पहचाने की देर है। अपनी महानता को यदि व्यक्ति जान जाए तो किसी भी मुश्किल को आसान कर सकता है। इसीलिए विवेकानंद जी कहते हैं कि किसी और पर हो न हो लेकिन व्यक्ति को खुद पर विश्वास रखना चाहिए।
इसके बाद विवेकानन्द सदन के विद्यार्थियों ने उनके जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। मुस्कान और निकिता ने विवेकानन्द के जीवन पर और युवा सशक्तिकरण पर प्रस्तुति दी वहीं शालिका राणा ने कविता के माध्यम से स्वामी विवेकानन्द के जीवन पर प्रकाश डाला।
ये रहे उपस्थित
इस उपलक्ष्य पर सहायक प्रोफेसर शालिनी शर्मा, पारुल शर्मा और कुमारी संजीवन वाला उपस्थित रही।