छह जिलों के मरीजों को हो रहीं दिक्कतें, अस्पताल के स्टाफ और डॉक्टरों को लेनी पड़ती है प्राइवेट एंबुलेंस की सेवाएं
काँगड़ा – राजीव जस्वाल
डॉ राजेंद्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय टांडा अस्पताल के पास अपनी सरकारी एंबुलेंस नहीं है। हैरानी की बात है कि प्रदेश के दूसरे बड़े टांडा अस्पताल में छह जिलों चंबा, मंडी, ऊना, हमीरपुर , कुल्लू और 15 लाख की सबसे बडी आबादी वाले जि़ला कांगडा से मरीज उपचार के लिए टांडा अस्पताल पहुंचते हैं।
उन्हें प्राइवेट एंबुलेंस का ही सहारा लेना पड़ता है। लेकिन टीएमसी के पास सरकारी एंबुलेंस ही नहीं है। जिसके चलते टांडा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के डॉक्टरों को बाहर दूसरे स्थानों में कोइ भी कैंप लगाने के लिए प्राइवेट एंबुलेंस को हायर करना पड़ता है। हालांकि टांडा अस्पताल के पास 102 और 108 वाहन मौजूद हैं पर इन वाहनों में कैंप के सामान को नहीं ले जाया जा सकता है।
छह जिलों से आने वाले मरीजों को भारी भरकम मनमर्जी के रेट देकर एंबुलेंस को बुक करने को मजबूर होना पड़ता है। गौरतलब है की टांडा अस्पताल के पास पुरानी एक जिप्सी एंबुलेंस नंबर एचपी 40 9783, एक जिप्सी एचपी 40 9784 , एक एंबुलेंस एचपी 40 बी 0384 , एक मारूति वैन एचपी 40 8915 , एक स्वराज माजदा एंबुलेंस एचपी 40 8077 सहित पांच एंबुलें हैं। लेकिन 15 साल पुरानी होने के साथ समय समाप्ति के कारण यह एंबुलेंस प्रधानाचार्य कार्यालय के परिसर में धूल फांक रही हैं।
यह एंबुलेंस वाहन लगभग 16 साल पुराने हो चुके हैं । लेकिन इनकी जगह अभी तक एक भी नई एंबुलेंस टांडा अस्पताल को नसीब नहीं हो पाई है, जिसका खामियाजा मरीजों, स्टाफ सहित डॉक्टर्स उठाने को मजबूर हैं । सरकार के वित्तीय हालातों के चलते नई एंबुलेंस की उम्मीद कम ही लगती है। जब तक टांडा अस्पताल के पास नई एंबुलेंस नहीं आ जाती तब तक छह जिलों के मरीजों सहित टांडा अस्पताल के स्टाफ व डॉक्टरों को प्राइवेट एंबुलेंस को ही किराए पर हायर करना पड़ेगा।