प्रदेश का दूसरा बड़ा स्वास्थ्य संस्थान प्रदेश भर में दी जा रही स्वास्थ्य सेवाओं व सुविधाओं की पोल खोल रहा है। जी हां यहां पर बात हो रही है डाक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल टांडा की। जब कोई दुर्घटना होती है|
काँगड़ा, राजीव जस्वाल
प्रदेश का दूसरा बड़ा स्वास्थ्य संस्थान प्रदेश भर में दी जा रही स्वास्थ्य सेवाओं व सुविधाओं की पोल खोल रहा है। जी हां यहां पर बात हो रही है डाक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल टांडा की। जब कोई दुर्घटना होती है या फिर अन्य गंभीर बीमारी तो लोग इसी अस्पताल का रुख करते हैं।
चंबा, कांगड़ा, हमीरपुर सहित अन्य जिलों के लोग इस अस्पताल में उपचार के लिए आते हैं। लेकिन यहां पर कई बार बेहतर सुविधाएं न मिल पाने के कारण मरीज व तीमारदारों को बैरंग लौटना पड़ रहा है या फिर परेशानी से दो चार होना पड़ रहा है।
हिमाचल प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग टांडा मेडिकल कॉलेज को प्रदेश का बेहतरीन अस्पताल बनाने की ओर अग्रसर होने का दावा करते हैं। लेकिन छोटी छोटी कमियां अस्पताल की साख को हर बार बट्टा लगा देती हैं। जब भी किसी दुर्घटना में या अन्य बीमारी का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन की आवश्यकता पड़ती है तो यहां पर मरीज को अन्य जगहों से सीटी स्कैन करके लाने को कहा जाता है।
या तो निजी अस्पतालों को लाभ देने के लिए टांडा अस्पताल प्रबंधन ऐसा कर रहा है या फिर यहां पर काम न करने की प्रवृति हावी हो रही है। वजह जो भी हो, प्रदेश के दूसरे बड़े स्वास्थ्य संस्थान की यह हालत है तो प्रदेश में अन्य जगहों पर स्वास्थ्य सुविधाएं कैसी होंगी इसका अंजाता लगाय जा सकता है।
नूरपुर भूस्खलन के घायल व्यक्ति की नहीं हुआ सीटी स्कैन, अन्य अस्पताल भेजा
नूरपुर में हुए भूस्खलन में एक व्यक्ति उसकी चपेट में आ गया। व्यक्ति को वाहन की छत्त पाड़ कर निकाला गया और टांगों में फ्रेक्चर भी था। ऐसे में व्यक्ति को पहले नूरपुर अस्पताल में उपचार दिया गया और बेहतर उपचार के लिए टांडा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए रैफर किया गया। लेकिन दुर्भाग्य उस व्यक्ति का यह रहा कि चट्टान के प्रहार से तो बच गया पर जो पीड़ा टांडा अस्पताल प्रबंधन की तरफ से मिली वह नहीं भूल पाएंगे।
बताया जा रहा है कि व्यक्ति को टांडा पहुंचाने के बाद चिकित्सकों ने बता दिया कि यहां पर सीटी स्कैन मशीन खराब है, ऐसे में या तो धर्मशाला या अन्य किसी अस्पताल से सिटी स्कैन करवाकर लाना होगा। पहले से ही परेशान तीमारदारों को उस वक्त और परेशानी झेलनी पड़ी।
घायल व्यक्ति के भतीजे विनोद कुमार ने बताया कि मजबूरी में पठानकोट के किसी निजी अस्पताल में अपने चाचा को उपचार के लिए ले जाना पड़ा, जिसके लिए उन्हें मानसिक रूप से भी परेशानी झेलनी पड़ी। अगर ऐसा ही है तो इतने बड़े चिकित्सालय होने का क्या औचित्य है अगर यहां पर एक सीटी स्कैन मशीन तक नहीं है।
सीटी न होने की लंबे समय से झेल रहे मरीज परेशानी
आप अगर अपने मरीज की सीटी स्कैन के लिए टांडा मेडिकल कॉ़लेज अस्पताल जा रहे हैं तो न जाएं। दरअसल यहां पर कई महीनों से सीटी स्कैन मशीन खराब पड़ी है। लेकिन यहां पर अस्पताल प्रबंधन बिल्कुल चुप बैठा है। लोगों की कोई परवाह नहीं है। ऐसे में टांडा से धर्मशाला या अन्य अस्पतालों का रुख मरीजों व तीमरदारों को करना पड़ रहा है। या फिर निजी अस्पताल में महंगा उपचार करवा रहे हैं।
प्रबंधन का दावा, पुरानी हो चुकी है मशीन
अस्पताल के प्राचार्य डा. भानू अवस्थी का दावा है कि मशीन पुरानी हो चुकी है। इसलिए नई मशीन के लिए आर्डर कर दिया है। जल्द नई मशीन आ जाएगी।