जवाली अनिल छांगू
सावन संक्रांति के अवसर पर शुक्रवार को जवाली में ख्वाजापीर उत्सव धूमधाम से मनाया गया।
कोविड-19 के चलते सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए लोगों ने ख्वाजापीर उत्सव पर मिनी हरिद्वार जवाली में बेहड़ा विसर्जन कर रस्म निभाई।
इस किश्ती रूपी बेहड़े को भव्य रूप में सजाने के बाद इसमें मछली सवार ख्वाजापीर की प्रतिमा की विधिवत पूजा अर्चना की गई। शहर का चक्कर काटने के बाद देहर खड्ड अर्थात मिनी हरिद्वार पहुंचाया गया। लोगों ने अपने देवता को दलिया, रोट, चपाती, हलवा और गेहूं से बनी कुंगणियां चढ़ाईं।
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि यह उत्सव उनके पूर्वजों की देन है और जैसे उनके पूर्वज मनाते थे वे भी सहज उसी तरीके से इस परंपरा को निभा रहे हैं और इसकी सीख युवा पीढ़ी को भी दे रहे हैं।
उनका कहना है कि उनके समुदाय के ज्यादातर लोग नदी किनारे बसते थे और मछली पकड़ने का काम किया करते थे। उनका मानना है कि बरसात के दिनों में नदियों और नालों में पानी उफान पर होता था और इस समय उनका देवता ख्वाजापीर ही उनकी रक्षा करता है। इसी आस्था के साथ उनका समुदाय अपने देवता ख्वाजापीर के प्रति पूरी तरह समर्पित है।
ज्वाली से सटे अन्य गांवों में भी विभिन्न समुदायों के लोग ख्वाजापीर की संक्रांति मनाते है। वे सावन माह की संक्राति को खवाजे दी सगरान्द गग कहते हैं। कुछ गांवों के लोग व्यक्तिगत रूप से दरिया किनारे जाकर ख्वाजापीर को दलिया, हलवा व पूड़ी आदि चढ़ाकर देवता के प्रति अपनी आस्था को प्रकट करते हैं।
इस मौके पर पूर्व प्रधान एवं पार्षद तिलक राज रपोत्रा, कपिल मैहरा,पवन कुमार फांदी, गैंडा राम, केवल कृष्ण, इंद्र पाल, अभिनव, गोविंद रपोत्रा, नारारण सिंह, शेर सिंह रपोत्रा, मोहिंद्र बड़जात्या, मनोज कुमार, शिव कुमार, जनक राज सरोच, संतोष कुमार, अजय कुमार, दुर्गेश कुमार, अंकुश कुमार व अन्य लोग मौजूद रहे।