व्यूरो, रिपोर्ट
हिमाचल क्रशर एसोसिएशन की बैठक डमटाल में सम्पन्न हुई जिसमें हिमाचल क्रशर संचालकों ने एकजुट होकर सरकार की क्रशरों के प्रति अनदेखी के चलते अनिश्चितत काल तक पूरी तरह हड़ताल करने का निर्णय लिया इस अवसर पर सभी ने एकमत से कहा कि जब तक सरकार क्रशर उद्योग की जायज मांगो को नहीं मान लेती तब तक हिमाचल के इन्दौरा – डमटाल जोन के सभी क्रशर पूर्ण रूप से बंद रहेंगे।
डमटाल में हुई क्रशर संचालकों की मीटिंग में बोलते हुए कर्ण सिंह पठानिया व आकाश कटोच ने संयुक्त रूप से कहा कि हिमाचल क्रशर उद्योग पर नए कड़े कानून थोपे जा रहे हैं, जिससे क्रशर चलाना बहुत मुश्किल हो गया है। क्रशर मालिकों ने सरकार से मांग की है कि उनको क्रशर चलाने के लिए जेसीबी चलाने की छूट दी जाए और इसके अलावा जैसे अन्य राज्यो में खनन के लिए प्रावधान है वैसे ही हिमाचल में भी आसान नियमों पर खनन की सुविधा प्रदान की जाए।
मीटिंग में बोलते हुए क्रशर उद्यमी आकाश कटोच ने कहा कि क्रशर एसोसिएशन पूरी तरह से सरकार के निर्णयों के आदर करती है और सरकार जो भी नियम बनाए वे उसका भी स्वागत करते है लेकिन क्रशर एसोसिएशन सरकार के ध्यान में अपनी जायज मांगो को रखते हुए ये मांग कर रहे है कि सरकार जो भी नया कानून बनाये वो क्रशर उधोगो की जरूरतों व सहूलियत को ध्यान में रखते हुए बनाये ताकि क्रशर उधोग को आर्थिक नुकसान के साथ साथ मानसिक प्रताड़ना का शिकार न होना पड़े
इस मीटिंग में कर्ण सिंह पठानिया, आकाश कटोच, करतार सिंह, सर्वजीत कटोच, पंकज शर्मा, कपिल शर्मा, लक्की शर्मा, केवल सिंह, कुणाल ,सहित क्रशर मालिक उपस्थित थे!
हड़ताल से विकास कार्य होंगे प्रभावित, मजदूर वर्ग पर आर्थिक मार
बुधवार से क्रशर उद्योगों द्वारा हड़ताल का निर्णय लिया गया है। इंदौरा उपमंडल के इंदौरा, मण्ड क्षेत्र, बाईं अटारियां, माजरा आदि के क्रशर उद्योग मालिकों द्वारा इस अनिश्चित कालीन हड़ताल से विकास कार्य प्रभावित होंगे।
बता दें कि कोरोना काल में लॉक डाउन के चलते पहले ही विकास कार्य न के बराबर हो रहे थे, अब कहीं विकास कार्य धरातल पर उतरने लगे थे तो क्रशर उद्योग मालिकों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया है। बात पंचायती राज विभाग की करें तो पंचायतों में रेत, बजरी, रोड़ी आदि न मिलने से विकास कार्य रुकेंगे तो वहीं लोक निर्माण विभाग के कार्य भी बंद हो जाएंगे।
वहीं दूसरी ओर क्रशर उद्योग पर काम करने वाले मजदूर वर्ग, टिप्पर चालक सहित अन्य कामगार वर्ग पर भी इस हड़ताल से आर्थिक मार पड़ेगी। यही नहीं बल्कि क्रशर उद्योगों पर रोजाना आने वाले अन्य राज्यों के हजारों वाहनों से टोल टैक्स के रूप में एकत्रित होने वाले लाखों रुपये के राजस्व की चपत भी सरकार को लगेगी।