कोटला – सवयम
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा हिमाचल प्रदेश में पठानकोट से मंडी फोरलेन परियोजना में कोटला के पास बनाई जा रही सुरंग नंबर दो त्रिलोकपुर चलने से पहले ही फ्लैश स्लाइड के आने से खतरे की घंटी बज उठी है।
बरसात की भारी बारिश का दबाव न झेलते हुए सुरंग के आखिरी छोर पर भारी भूस्खलन के चलते सुरंग का प्रवेश द्वार बंद हो गया है। गनीमत है कि उस समय रात होने के चलते सुरंग के मुहाने पर कोई कामगार नहीं था, अन्यथा कोई बड़ा हादसा हो सकता था।
गौरतलब है कि फोरलेन निर्माण कार्य में लगी कंपनी भारत कंस्ट्रक्शन लिमिटेड ने इस फ्लैश स्लाइड जोन को ट्रीटमेंट करके आधुनिक तकनीक से भूस्खलन रोकथाम के पुख्ता इंतजाम किए थे, लेकिन भूस्खलन की दृष्टि से अति संवेदनशील होने के चलते भारी बारिश का दबाव न झेलते हुए सुरक्षा के आधुनिक प्रबंध धरे के धरे रह गए और पूरा पहाड़ धरक गया।
केन्द्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ भू वैज्ञानिक डॉ महाजन ने अपनी रिपोर्ट में हिमाचल भू क्षेत्र गतिविधियां अध्ययन के बाद सरकारों को बताया है, कि नियांगल त्रिलोकपुर-कोटला सोहल्दा की जमोला पहाड़ी के नीचे 40 मीटर गहराई पर भू प्लेट्स टिल्ट हो गई हैं, जिससे कभी भी ग्राम पंचायत नियांगल त्रिलोकपुर-सोहलंदा कोटला का कुछ हिस्सा तबाह हो सकता है।
ताजुब की बात है कि केन्द्र तथा राज्य सरकारों से लेकर सम्बंधित विभागों ने गम्भीर अग्रणी चेतावनी नजरंदाज कर इस अति संवेदनशील क्षेत्र की बोटम रेंज को भारी भरकम मशीनरी तथा ब्लास्टिंग से पहाड़ी को ज़र्रा कर हजारों परिवारों की जिंदगियों को खतरे में डाल दिया है।