दुराना- राजेश कुमार
हिमाचल प्रदेश में जो पुरानी पैंशन को लेकर कर्मचारियों का आंदोलन चल रहा है उस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व पंचायत समिति सदस्य एवं वर्तमान उपप्रधान पंचायत डोल भटहेड़ साधू राम राणा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जो पुरानी पैंशन बहाली को लेकर कर्मचारियों की मांग अब धीरे धीरे एक बड़े आंदोलन का रुप धारण करने लगी है। जिसका उदाहरण विधानसभा के बाहर देखने को मिला है।
विधानसभा के बाहर जो अपनी पुरानी पैंशन बहाली को लेकर कर्मचारियों में जोश और जज्बा देखने को मिला, उसे देखकर तो यही अनुमान लगाया जा सकता है कि अब कर्मचारी आर पार की लड़ाई लड़ने का मन बना कर इस आंदोलन को लंबा खींचने पर उतारू हो सकते हैं, जोकि चुनाव के अंतिम वर्ष में मौजूदा सरकार के लिए बहुत बड़ा खतरा एवं विरोधी दलों केलिए किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं हो सकता है।
किसान आंदोलन में भी धरने पर बैठे किसान एक ही मांग पर डटे हुए थे। प्रधानमंत्री किसान बिलों को लेकर धरना स्थल पर आकर किसानों से बात करें लेकिन प्रधानमंत्री जी नहीं आए थे, लेकिन बाद में माफी मांगकर विल वापिस लिए। अतः उसी तर्ज पर हिमाचल प्रदेश के धरने पर बैठे कर्मचारी भी मांग कर रहे थे कि मुख्यमंत्री स्वयं धरना स्थल पर आकर कर्मचारियों से बात करें लेकिन मुख्यमंत्री ने भी मिलने से मना कर दिया है।
यदि मुख्यमंत्री कर्मचारियों से मिलने आ जाते, तो शायद बह कर्मचारियों का दिल जीत लेते। अगर समय रहते मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों की मांगों का हल नहीं निकला, तो वर्तमान सरकार को आगामी चुनावों में नुकसान और विरोध दलों को फायदा मिलता हुआ साफ़ दिख रहा है।

