आशा वर्करों को तुरंत मिनीमम वेजिस के दायरे में लाए सरकार

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व्यूरो रिपोर्ट

कोविड-19 के फ्रंट मोर्चे पर लगातार लड़ रही आशा वर्करों में सरकार की घोर उपेक्षा को लेकर निराशा व हताशा का माहौल है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है।

कोविड-19 महामारी के दौर में इस वर्ग ने अपने व अपने परिवारों के प्राणों की परवाह न करते हुए जनता की निरंतर सेवा की है लेकिन अब सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखने पर आशा वर्कर महिला वर्ग के ऊपर सरकार ने लाठी चार्ज किया है जो कि लोकतंत्र में न केवल उन कर्मियों के हितों पर कुठाराघात है बल्कि इनको अपमानित व प्रताड़ित करने जैसा कृत्य है।

राणा ने कहा कि आशा वर्कर कर्मचारियों के लिए सरकार पॉलिसी फ्रेम करे और जब तक इनके लिए कोई नीति नहीं बनती है तब तक इनका न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपए किया जाए। ताकि काम के बदले में यह अपने परिवार का भरण पोषण सम्मानजनक तरीके से कर सकें।

उन्होंने कहा कि मिनीमम वेजिस का राग अलाप कर जनता को गुमराह करने वाली बीजेपी सरकार प्रदेश के कई कामगार वर्गों को मिनीमम वेजिस का मानदेय न देकर निरंतर शोषण कर रही है। सरकार के इस शोषण का शिकार मुख्यतौर पर आशा वर्कर भी हो रहे हैं। लेकिन पूंजीपतियों की पैरवी करने वाली सरकार आम आदमी से गुलाम की तरह व्यवहार कर रही है।

राणा ने कहा कि आशा वर्करों को मिनीमम वेजिस के दायरे में लाना समय की मांग नहीं बल्कि जरूरत है और सरकार समाज के इस बड़े वर्ग की जरूरत को पूरा करके अपना राजधर्म निभाए। राणा ने कहा कि आम आदमी के प्रति जन विरोधी नीतियों को लागू व निरंतर चलाने वाली बीजेपी सरकार को जनता इस गुनाह के लिए कतई माफ नहीं करेगी।

अगर सरकार आम आदमी की हितैषी है तो आशा वर्कर की सेवाओं को देखते हुए इन्हें तुरंत मिनीमम वेजिस के दायरे में लाया जाए ताकि आर्थिक संकट से जूझ रहे इस वर्ग को तनाव व अवसाद से निकलने में हेल्प मिल सके। राणा ने कहा कि आम आदमी के हितों की रक्षा-सुरक्षा करना लोकतंत्र में सरकारों का पहला राजधर्म है। लेकिन अगर सरकार ही जनता से मुंह मोड़े तो कोई क्या करे।

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