नाम विकास का, काम विनाश का… शाहपुरवासी बोले, बस अब और नहीं

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शाहपुर – नितिश पठानियां 

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विकास के नाम पर शाहपुर विधानसभा क्षेत्र का ऐतिहासिक बाजार अपनी पहचान और रोजगार दोनों गंवा बैठा है। पठानकोट-मंडी फोरलेन निर्माण के चलते करीब 100 साल पुराने शाहपुर बाजार को तहस-नहस कर दिया गया। पहले 150 से अधिक दुकानें उजाड़ी गईं। इससे लगभग 1000 लोगों को रोजगार छिन गया।

अब शाहपुर बाजार में आठ-आठ मीटर चौड़ी तैयार की जा रही सर्विस लेन भी बचे-खुचे दुकानदारों के पांव उखाड़ने को तैयार है। पठानकोट-मंडी फोरलेन परियोजना के तहत विधानसभा क्षेत्र शाहपुर में कार्य तेजी से जारी है।

निर्माण कार्य के चलते 100 वर्ष पुराने ऐतिहासिक बाजार को बचाने के लिए शाहपुर बाजार बचाओ संघर्ष समिति ने लंबे समय तक विरोध-प्रदर्शन किए, लेकिन फोरलेन निर्माण कंपनी ने प्रस्तावित रोडमैप के अनुसार ही काम किया।

शाहपुर बाजार में फोरलेन के दोनों ओर आठ-आठ मीटर चौड़ी सर्विस लेन भी तैयार की जा रही है। इसी वजह है कि शाहपुर बाजार बचाओ संघर्ष समिति एक बार फिर मुखर हो गई है।

स्थानीय दुकानदारों और समिति के सदस्यों का कहना है कि सरकार और निर्माण कंपनी ने न तो फ्लाईओवर बनाया, न ही बाईपास का विकल्प चुना। कांगड़ा से पठानकोट तक के अन्य पुराने बाजारों को संरक्षित किया गया, लेकिन सिर्फ शाहपुर को निशाना बनाया गया।

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