केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के डॉ. दीक्षित शर्मा युवा वैज्ञानिक फैलोशिप से सम्मानित

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धर्मशाला, राजीव जस्वाल

केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के पशु विज्ञान विभाग, स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज, के डॉ. दीक्षित शर्मा को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग ने युवा वैज्ञानिक फैलोशिप से सम्मानित किया है।

डॉ. दीक्षित शर्मा ने सेंटर फॉर कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी एंड बायोइनफॉरमैटिक्स, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हिमाचल प्रदेश से पीएचडी की डिग्री पूरी की है। डा. दीक्षित विभाग अध्यक्ष डा. सुनील ठाकुर की देखरेख में इस प्रोजेक्ट के तहत काम करेंगे। परियोजना की कुल लागत 43 लाख 55 हजार रुपये है, जिसमें अनुसंधान के लिए 21,95,000 और तीन साल के लिए यंग साइंटिस्ट की प्रति माह 60,000 फैलोशिप है।

इस संबंध में डॉ. दीक्षित शर्मा के अनुसार काम मुख्य रूप से स्क्रब टायफस बीमारी पर केंद्रित है जो इंट्रासेल्युलर जीवाणु ओरियन्टिया ट्सुटसुगामुशी के कारण होता है। स्क्रब टायफस भारत-म्यांमार सीमा पर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान और 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों में बुखार का एक प्रमुख कारण था। रोग के सामान्य लक्षण बुखार, खांसी, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और एस्केर के गठन है। भारत में स्क्रब टायफस को हाल ही में उभरते हुए और फिर से उभरने वाले प्राणीजन्य संक्रमण के रूप में पहचाना गया है।

संक्रमण का प्रकोप विभिन्न भारतीय प्रांतों से बताया गया है और यह 10 फीसद घातक दर के साथ विभिन्न जटिलताओं से संबंधित है, जो डेंगू से अधिक है। इसका प्रभाव ग्रामीण आबादी पर अधिक है, विशेष रूप से क्षेत्र के कार्यकर्ता या बाहरी श्रमिक। उत्तर प्रदेश और असम में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा हालिया निगरानी और अध्ययन ने बच्चों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम की घटना के लिए ओरिएंटिया का योगदान बताया है।

बीमारी के इलाज के लिए कुछ एंटीबायोटिक्स हैं, लेकिन इन एंटीबायोटिक्स के प्रतिरोध के बारे में पहले भी बताया जा चुका है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका के अनुसार, स्क्रब टाइफस के लिए आज तक कोई लाइसेंस प्राप्त टीका उपलब्ध नहीं है। उन्होंने बताया कि वर्तमान अध्ययन कम्प्यूटेशनल और प्रयोगात्मक तरीकों को संयोजित करके सभी रिकेट्सियल रोगजनकों का जीनोम अनुक्रम डेटा का विश्लेषण करेगा।

अध्ययन इम्यूनोलॉजी अनुसंधान पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा और ट्रांसलेशनल मेडिसिन के अनुप्रयोगों को तेज करेगा; जैसे की नवीन दवाओं और टीके की खोज तथा स्क्रब टायफस और अन्य रिकेट्सियल रोगों के खिलाफ तीव्र निदान परीक्षण। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश के लोगों, विशेष रूप से बाहरी श्रमिकों और खेत में काम करने वाली महिलाओं के बीच जागरूकता शिविर का आयोजन किया जाएगा जिससे स्क्रब टाइफस और अन्य रिकेट्सियल रोगों की घटनाओं को कम किया जा सके।

उत्तर पश्चिम हिमालयी क्षेत्र में स्क्रब टायफस और अन्य रिकेट्सियल रोगों के प्रबंधन के लिए एक डेटाबेस बनाया जाएगा। डा. दीक्षित की इस सफलता पर केंद्रीय विवि के कुलपति डा. रोशन लाल शर्मा और डा. प्रदीप कुमार ने उन्‍हें बधाई दी है।

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