हिमखबर डेस्क
भागदौड़ भरी जिंदगी में मोटापा और स्ट्रेस घर-घर की कहानी बन चुका है। एक तरफ लोग वजन घटाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं और दूसरी तरफ घर-ऑफिस का तनाव का लोड बढ़ता जा रहा है। तमाम कोशिशों के बावजूद न तो वजन कम हो रहा है और ना ही तनाव।
दरअसल, ये दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं। स्ट्रेसफुल लाइफस्टाइल में तनाव में हम बेवजह खाने लगते हैं, जो धीरे-धीरे वजन बढ़ाने का कारण बनता है। इससे शरीर के अलावा मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। तो क्या कोई ऐसा तरीका है जिसकी मदद से हम माइंडफुल तरीके से अपने वजन को सच मे कम कर सकें?
फोर्टिस एस्कॉर्ट हॉस्पिटल की एमडी मनोचिकित्सक डॉक्टर पल्लवी शर्मा ने इस कनेक्शन को समझने और नियंत्रित करने के लिए कुछ आसान और प्रैक्टिकल घरेलू उपाय बताए हैं। अगर इन्हें नियमित रूप से अपनाया जाए, तो तनाव और मोटापा दोनों को काफी हद तक मैनेज किया जा सकता है।
माइंडफुल ईटिंग जरूरी
डॉक्टर पल्लवी का कहना है कि खाना खाते समय पूरी तरह ध्यान खाने पर दें। इसे केवल पेट भरने का काम मत समझें।हर बाइट का स्वाद लें, टेक्सचर को महसूस करें और खाने के दौरान टीवी, फोन या लैपटॉप जैसी चीज़ों से दूरी बनाएं। जब हम इस तरह से ध्यानपूर्वक खाते हैं, तो शरीर को सिग्नल मिलता है कि पेट भरा है, जिससे ओवर ईटिंग कम होती है और डाइजेशन सही रहता है. यह तरीका न सिर्फ स्ट्रेस ईटिंग कम करता है, बल्कि खाने का अनुभव भी बेहतर बनाता है।
फूड जर्नल – अपनी आदतों को समझें
स्ट्रेस के समय खाई गई चीज़ों को डायरी या नोटबुक में लिखना बहुत मददगार होता है। फूड जर्नल रखने से आपको समझ आता है कि किस समय और किस परिस्थिति में आप बिना भूख के खाने लगते हैं। अवेयरनेस बढ़ने के बाद आप अपनी आदतों को बदलने के लिए सही कदम उठा सकते हैं। छोटे-छोटे नोट्स जैसे “आज ऑफिस का प्रोजेक्ट स्ट्रेस था, और मैंने चॉकलेट खा ली” – इस तरह के पैटर्न को पहचानना पहला कदम है।
खुद खाना बनाएं
डॉक्टर कहती हैं कि खुद खाना बनाना और ग्रॉसरी खरीदना, दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। पैकेज्ड फूड और जंक फूड को हटाकर किचन में फ्रेश फल, सब्जियां और हेल्दी इंग्रेडिएंट्स रखें। खुद खाना बनाने से आपको खाने पर कंट्रोल मिलता है और यह स्ट्रेस ईटिंग को कम करने में मदद करता है। साथ ही, खुद खाना बनाना एक तरह से मेडिटेशन का अनुभव भी देता है, क्योंकि आप हर स्टेप पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
खाने के बाद हल्की वॉक
खाने के तुरंत बाद 10-15 मिनट की हल्की वॉक करें। यह डाइजेशन में मदद करती है, ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट करती है और मूड को भी बेहतर बनाती है। लंबे समय तक बैठे रहना मोटापे को बढ़ावा देता है, इसलिए हल्की एक्टिविटी बेहद जरूरी है। रोज़ाना यह छोटा सा रूटीन वजन और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए बहुत लाभकारी साबित होता है।
छोटे बदलाव, बड़ा फर्क
अपने शरीर और आदतों को समझें। छोटे बदलाव जैसे हेल्दी स्नैक्स रखना, दिन भर में पर्याप्त पानी पीना, स्ट्रेस कम करने के लिए थोड़ी मेडिटेशन करना या डीप ब्रीदिंग करन, ये सभी उपाय लंबे समय में मोटापा और तनाव दोनों को कंट्रोल करने में मदद करते हैं।
इस तरह, तनाव और मोटापे के बीच कनेक्शन को समझकर आप अपने खाने की आदतों और लाइफस्टाइल में छोटे-छोटे बदलाव करके हेल्दी और खुशहाल जीवन जी सकते हैं। अगर आप इन घरेलू टिप्स को रोज़मर्रा की जिंदगी में अपनाएं तो काफी तेजी से फायदा मिलेगा।