हिमखबर डेस्क
एनआईटी हमीरपुर के मैटीरियल साइंस इंजीनियरिंग विभाग के छात्रों ने एक अनोखा और किफायती सोलर पैनल विकसित किया है, जो न केवल पारदर्शी है, बल्कि खिड़की और दरवाजों के कांच में लगाकर उससे बिजली भी तैयार की जा सकती है।
खास बात यह है कि इस सोलर पैनल को नैनो मैटीरियल और गहरे रंग वाले फलों के रस से तैयार किया गया है। जिससे इसे रिसाइकल करना भी बेहद सस्ता होगा।
वर्तमान में उपयोग हो रहे सोलर पैनलों में सिलिकॉन और जर्मेनियम जैसे महंगे सेमी-मेटल्स का प्रयोग होता है, जिन्हें रिसाइकल करना बेहद खर्चीला होता है। इनकी रिसाइक्लिंग लागत निर्माण लागत से भी अधिक आती है।
वहीं, एनआईटी हमीरपुर के छात्रों की ओर से तैयार किया गया यह नैनो आधारित सोलर पैनल न केवल टिकाऊ है, बल्कि इसकी रिसाइक्लिंग लागत भी बहुत कम है।
यूपी के अलीगढ़ निवासी बीटेक के द्वितीय वर्ष के छात्र तनिष्क और उनकी टीम ने इस सोलर पैनल का प्रोटोटाइप वार्षिक टेक फेस्ट ‘निंबस’ में प्रस्तुत किया।
इसमें टाइटेनियम डाइऑक्साइड, जिंक ऑक्साइड और रिड्यूस्ड ग्रैफीन ऑक्साइड जैसे नैनो मैटीरियल का प्रयोग किया गया है। इनकी परत पारदर्शी कांच पर चढ़ाने के साथ दो कांचों को जोड़कर पैनल तैयार किया जाता है।
नैनो मैटीरयल में आर्गेनिक डाई का उपयोग किया गया है, जिसे गहरे रंग के फलों के रस और इथेनॉल से तैयार किया गया है। यह डाई सूर्य की किरणों से फोटॉन (ऊर्जा कण) ग्रहण कर नैनो मैटेरियल को ऊर्जा प्रदान करती है, जिससे बिजली उत्पन्न होती है, जिसे सोलर पैनल से जुड़ी बैटरी में संग्रहित किया जा सकता है।
तकनीक की विशेषता
इस तकनीक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे छत पर लगाने की आवश्यकता नहीं है। इसे आसानी से खिड़की या दरवाजों के कांच पर लगाया जा सकता है, जिससे भवन की संरचना प्रभावित किए बिना बिजली उत्पन्न की जा सकेगी।
इससे बिजली उत्पादन की लागत भी घटकर आधी रह जाती है। जहां पारंपरिक सोलर पैनल से प्रति वाट बिजली की लागत 40–45 रुपये तक आती है, वहीं इस तकनीक से यह महज 20–25 रुपये में संभव हो सकेगी।
डॉ. अर्चना नानोटी रजिस्ट्रार, एनआईटी हमीरपुर के बोल
विद्यार्थियों की ओर से प्रस्तुत यह नवाचार पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा उत्पादन दोनों के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। वे इस खोज के लिए बधाई के पात्र हैं।