हिमखबर डेस्क
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में स्थित धर्मशाला केंद्रीय विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। एनएसयूआई धर्मशाला इकाई ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। संगठन का कहना है कि पीएचडी प्रवेश में धांधलियां हो रही हैं, जिसे तुरंत बंद किया जाना चाहिए। एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने मांग की कि केवल पात्र विद्यार्थियों को ही प्रवेश दिया जाए।
उन्होंने कहा कि छात्र सालों तक कड़ी मेहनत करके तैयारी करते हैं, लेकिन प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितताओं के कारण उनका मनोबल टूट रहा है। छात्र संगठन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से निष्पक्ष और पारदर्शी प्रवेश प्रक्रिया लागू करने की मांग की है, ताकि योग्य छात्रों को उनका हक मिल सके।
एनएसयूआई ने की दोबारा इंटरव्यू कराने की मांग
एनएसयूआई की प्रदेश महासचिव नेहा कौशल ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पास ऐसी कई सूचियां हैं, जिनमें पीएचडी के पात्र विद्यार्थियों को प्रवेश प्रक्रिया के दौरान इंटरव्यू में बाहर कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि ऐसे कई छात्र भी हैं, जिन्होंने NET और JRF जैसी परीक्षाएं पास की हैं, फिर भी उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। यह विद्यार्थियों के साथ अन्याय है और उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।
नेहा कौशल ने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की है कि पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को दोबारा निष्पक्ष रूप से संचालित किया जाए। उन्होंने आग्रह किया कि नया इंटरव्यू पैनल गठित कर पात्र विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाए, ताकि योग्य छात्रों को उनका हक मिल सके।
विश्वविद्यालय प्रशासन पर भाई-भतीजावाद के गंभीर आरोप
एनएसयूआई ने केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि यहां सिर्फ पसंदीदा लोगों को ही प्रवेश दिया जाता है, जबकि योग्य और काबिल छात्र दरकिनार कर दिए जाते हैं। छात्र संगठन का कहना है कि यह स्थिति आज की नहीं, बल्कि कई सालों से चली आ रही है।
यह न केवल सरासर अन्याय है, बल्कि मेहनती विद्यार्थियों के हक को खुलेआम छीनने जैसा भी है। इस मामले में एनएसयूआई ने पारदर्शिता लाने और योग्य छात्रों को उनका हक दिलाने के लिए तुरंत सुधारात्मक कदम उठाने की मांग की है।
पीएचडी प्रवेश परीक्षा महज है दिखावा
एनएसयूआई ने केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाया है कि पीएचडी प्रवेश के लिए आयोजित की जाने वाली शोध पात्रता परीक्षा महज एक दिखावा है, जिसका असली मकसद अपनों को प्राथमिकता देना है। प्रदेश महासचिव नेहा कौशल ने कहा कि उनके पास ऐसी कई सूचियां हैं, जो इस गड़बड़ी को साफ तौर पर उजागर करती हैं।
उन्होंने दावा किया कि योग्य और मेहनती छात्रों को जानबूझकर बाहर किया जा रहा है, ताकि अपनों को आगे बढ़ाया जा सके। उन्होंने चेतावनी दी कि प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के साथ हो रहा यह अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से पारदर्शी प्रक्रिया लागू करने और सभी योग्य छात्रों को न्याय दिलाने की मांग की है।