हिमाचल ऊना फैक्टरी ब्लास्ट: पीजीआइ चंडीगढ़ में भर्ती 3 मरीजों की हालत नाजुक

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व्यूरो रिपोर्ट

हिमाचल प्रदेश के ऊना के संतोखगढ़ स्थित पटाखा फैक्टरी में हुए ब्लास्ट से बुरी तरह झुलसे आठ मरीजों का पीजीआइ चंडीगढ़ में इलाज चल रहा है। सभी मरीजों को एडवांस ट्रामा सेंटर में इलाज के लिए भर्ती किया गया है। एडवांस ट्रामा सेंटर के इंचार्ज के मुताबिक इनमें से तीन मरीजों की हालत बेहद ही नाजुक है। इन तीनों मरीजों का शरीर ब्लास्ट की चपेट में आने के कारण 90 फीसद से अधिक झुलस चुका है। यह तीनों मरीज महिलाएं हैं। इनकी मेडिकल कंडीशन बेहद क्रिटिकल है।

प्लास्टिक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर 90 फीसद से अधिक झुलस चुकी इन तीनों महिलाओं को बचाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इन तीनों महिलाओं की जान बच पाएगी या नहीं, इस पर डॉक्टर अभी कुछ कह पाने में सक्षम नहीं हैं। 90 फीसद से अधिक बर्न इंजरी वाली महिलाओं में 40 साल की नसरीन, 40 साल की अजगरी और 45 साल की इशरत शामिल है। इन तीनों महिलाओं को एडवांस ट्रामा सेंटर के बर्न इंजरी आइसीयू में रखा गया है।

फैक्टरी में हुए ब्लास्ट से 70 फीसद से अधिक शरीर झुलस जाने के कारण दो महिलाओं और एक पुरुष को और एडवांस ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था। इन तीनों को भी एटीसी के आइसीयू में रखा गया है। इनमें 45 साल की गाफरी, 40 साल की शकीला और 40 साल के जोशी है। डॉक्टरों का कहना है कि फैक्टरी में ब्लास्ट होने की वजह से कई आतीशबाजी के छर्रे इन घायलों की शरीर में लगे हैं, जिसकी वजह से हालत बेहद ही नाजुक है।
30 फीसद से अधिक बर्न इंजरी को माना जाता है क्रिटिक्ल
पीजीआइ के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर अतुल पराशर ने बताया कि किसी भी हादसे में अगर व्यक्ति का शरीर 30 फीसद से अधिक झुलस जाए या जल जाए तो उसे क्रिटिक्ल कंडीशन माना जाता है। इस हादसे में घायल जिन आठ मरीजों को पीजीआइ के एडवांस ट्रामा सेंटर में भर्ती किया गया है, उनमें से तीन महिलाएं 90 फीसद से अधिक झुलस चुकी हैं, इनकी जान बचाना डॉक्टरों के लिए एक बड़ी चुनौती है।
अभी नहीं की जा सकती कोई सर्जरी
प्रोफेसर अतुल पराशर ने बताया कि मरीजों की फिलहाल कोई प्लास्टिक सर्जरी या ऑपरेशन नहीं किया जा सकता। क्योंकि इन सभी आठों मरीज 30 फीसद से अधिक झुलस चुके हैं। इन मरीजों को पहले लिक्विड डोज और दवाइयां दी जा रही है, ताकि झुलसने के कारण शरीर में किसी प्रकार की कोई तरल पदार्थ में कमी न हो। उसके बाद इन मरीजाें के जख्मों में किसी प्रकार का कोई इंफेक्शन न हो। उससे इन मरीजों को बचाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। एक बार इनका स्वास्थ्य पहले से बेहतर हो जाए तब जाकर इनकी प्लास्टिक सर्जरी और ऑपरेशन किया जाएगा। फिलहाल इन मरीजों को बर्न इंजरी के आइसीयू में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है।
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